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सोशल मीडिया में भारत में एड्स दिवस

महेश झा१ दिसम्बर २०१५

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार एशिया प्रशांत के इलाके में एड्स से मरने वाले किशोरों की संख्या 2005 से दोगुनी हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार गंभीर रूप से प्रभावित देशों में भारत भी शामिल है.

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Kondome in Indien
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Caballero-Reynolds

एड्स पर संयुक्त राष्ट्र प्रोग्राम और यूनीसेफ द्वारा कराई गई स्टडी के अनुसार भारत, चीन और पाकिस्तान उन दस देशों में शामिल हैं जहां 10 से 19 साल के 98 फीसदी एड्स पीड़ित किशोर रहते हैं. एक अनुमान के अनुसार 2014 में एशिया प्रशांत के इलाके में 10 से 19 वर्ष के 220,000 किशोर एड्स पीड़ित थे. रिपोर्ट का कहना है कि किशोरों के मुद्दों का हल किए बगैर 2030 तक एड्स महामारी को समाप्त नहीं किया जा सकता.

वयस्क आबादी के बीच एड्स की बीमारी को कम करने में इस इलाके ने भारी कामयाबी हासिल की है और 2000 से 2014 के बीच नए संक्रमण में 31 प्रतिशत की कमी आई है जबकि 2005 से 2014 के बीच एड्स से मरने वालों की संख्या 28 प्रतिशत कम हुई है. लेकिन किशोरों के बीच एड्स का संक्रमण चिंता की वजह बना हुआ है.

भारत में अंतरराष्ट्रीय एड्स दिवस के मौके पर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं इस दिन का इस्तेमाल लोगों की बीच जागरुकता फैलाने में कर रही है. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के अलावा गैर सरकारी मीडिया ने भी इस मौके पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया है.

बहुत से लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल एड्स के प्रति जागरुकता और जानकारी के प्रसार के लिए कर रहे हैं.

जगह जगह एड्स दिवस के मौके पर रैलियां निकाली जा रही हैं तो जानकारी और सलाह देने के लिए कैंपों का भी आयोजन किया जा रहा है.

भारत में देश के दूरदराज इलाकों तक सामान पहुंचाने वाले ट्रक ड्राइवर एड्स से खास तौर पर प्रभावित हैं. ट्रक यूनियनों ने इस मौके पर स्वास्थ्य और एड्स की जांच के लिए शिविर लगाए.

लेकिन आम लोगों के बीच अभी भी इस बीमारी को लेकर न तो पूरी जानकारी है और न ही कोई संवेदना. खासकर सोशल मीडिया में एड्स दिवस का इस्तेमाल मजाक के तौर पर भी हो रहा है और राजनीतिक विरोधियों पर छींटाकशी के लिए भी.

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एड्स रोगियों के प्रति सद्भावना दिखाने की मांग की है.