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सूर्य ग्रहण: किसने की क्या तैयारी

२२ जुलाई २००९

22 जुलाई 2009 का पूर्ण सूर्य ग्रहण सबके लिये ख़ास रहा. कहीं पूजा पाठ हुआ तो कहीं वैज्ञानिक उपकरणों के साथ जुटे इस अद्भुत खगोलीय घटना के आंकड़े इकट्ठा करने के लिए.

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तस्वीर: AP

सूर्य ग्रहण भारत में जितना आस्था का विषय है उतना ही कौतूहल और वैज्ञानिकों के लिये शोध का भी. 22 जुलाई 2009 को हुआ पूर्ण सूर्य ग्रहण 21 वीं सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण है. किसने क्या क्या तैयारी की थी इस सूर्य ग्रहण के लिये. आइए जानें.

वैज्ञानिक-

खगोल वैज्ञानिकों के लिये यह इक्कीसवीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण था जिसमें सूर्य से निकलने वाली किरणों के बारे में अध्ययन किया गया. वहीं जीव वैज्ञानिकों ने ग्रहण के दौरान पशु पक्षियों के व्यवहार का अध्ययन किया. क्योंकि अचानक सूरज के ग़ायब होने और पृथ्वी पर अंधेरा छा जाने के कारण जानवरों की जैविक घड़ी गड़बड़ा जाती है. इसी तरह आईआईटी कानपुर के कुछ खगोल विज्ञान के छात्र इस सूर्य ग्रहण के बारे में तथ्य इकट्ठा करने पटना और तरेगना पहुंचे. वहीं गूगल अर्थ ने सूर्य ग्रहण का त्रिआयामी नक्शा तैयार किया. इसमें ग्रहण का पूरा रास्ता भी दिखाया गया है.

इसके अलावा वैज्ञानिक सूर्य से निकलने वाली गामा किरणों, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर गुरुत्वाकर्षण कम हो जाता है.

आम लोग-

जहां आम लोगों में इस सूर्य ग्रहण को देखने का कौतूहल था वहीं धार्मिक रुझान और परंपरावादी लोग पूजा पाठ और अलग अलग संस्कारों में जुटे रहे. सूर्य ग्रहण के मौक़े पर करनाल, उज्जैन, वाराणसी जैसे धार्मिक स्थलों में पूजा पाठ का आयोजन होता है. कुरुक्षेत्र में इस मौक़े पर लोग ब्रह्मसरोवर में स्नान करने जाते हैं इसी तरह कईं लोग गंगा में नहाने भी जाते हैं.

पर्यटन उद्योग को ख़ास फ़ायदा

मंदी की मार से ठंडे पड़े उद्योग के लिये पूर्ण सूर्य ग्रहण ख़ुशी की किरण लेकर आया. दुनिया भर से लोग बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश पहुंचे जिसके कारण होटल से लेकर चश्मों तक का कारोबार ज़ोरों पर था. वहीं ऐसी जगहें भी भरी हुई रही जहां सूर्य ग्रहण के मौक़ो पर धार्मिक आयोजन किये जाते हैं. तारेगना में धूप के चश्मे यानी गॉगल्स दो दिन मिठाई की तरह बिके.

ट्रैवल एजेंसी किंग्स ऐंड कॉक्स नई दिल्ली से एक विशेष विमान ले गई. उसने 41,000 फ़ुट की ऊंचाई से वो सूर्य पर ग्रहण का नज़ारा अपने यात्रियों का दिखाने का इंतज़ाम किय था. महंगे किराए के बावजूद वैज्ञानिकों और रिसर्चरों के अलावा कौतूहल भरे सैलानियों ने टिकटें ख़रीदीं.

चीन में ग्रहण को लेकर नज़रिया

चीन में आम मान्यताओं में सूर्य ग्रहण को भयावह माना जाता है. वहां सूर्यग्रहण को सम्राट के भविष्य के तौर पर देखा जाता था. बहरहाल चीन में भी सूर्य ग्रहण देखने के लिये ख़ास तैयारियां की गई थीं. एक पार्क से इस नज़ारे को देखने के लिए ख़ास इंतज़ाम किए गए थे. इसके लिए 2000 टिकटें बिकी. टिकटों के साथ विशेष चश्मे भी दिए गए. चीन के अंजी इलाक़े में दुनिया भर से वैज्ञानिक सूर्यग्रहण के बारे में जानकारी इकट्ठा करने पहुंचे. इसमें भारत के भी वैज्ञानिक हैं.

रिपोर्ट- एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादन-एस जोशी