सूडान ने दी संयुक्त राष्ट्र सैनिकों को अनुमति
१७ अप्रैल २००७े अब तक का सबसे महत्वपूर्णँ समझौता है।
मगर संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के अनुसार नए सैनिकों की भर्ती और तैनाती में छे महीने तक का समय लग सकता है। और सूडान अभी तक 20 हज़ार से अधिक सैनिकों के लिए सहमत नहीं हुआ है।
कूटनीतिज्ञों के अनुसार सोमवार को सूडान द्वारा सैनिकों की तैनाती को सहमति देने से आशा की जा रही है कि उसपर अमरीका-ब्रिटेन द्वारा खारतूम के विरुद्ध लगाये जाने वाले प्रतिबंधों को दूर रखा जा सकता है जिससे सूडान के पास संधि को लागू करने का समय है। मगर उसके बावजूद अमरीका ने अपना संशय प्रकट करते हुए कहा कि खारतूम पहले भी कई बार सैनिकों को दारफूर में प्रवेश करने की आज्ञा की संधियों पर मुकरा हैं।
दारफूर में भीषण संघर्षों में अब तक कम से कम 2 लाख लोग मारे गए हैं और 25 लाख के करीब लोग घर छोड़कर जा चुके हैं। अमरीका के कार्यवाहक राजदूत अलेजांड्रो वोल्फ ने कहा कि हम पहले भी इस रास्ते से गुज़र चुके हैं। तो हमें देखना है कि जब ये होता है तो क्या ये सही में होता है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों को विषय पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के लिए सूडान के राजदूत अब्दल महमूद अब्दल हलीम मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र को भेजे एक पत्र में संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि उनकी सरकार दारफ़ूर में संयुक्त राष्ट्र सेना की तैनाती के लिए सहमत है और आशा करती है कि ये कार्य शीघ्रतापूर्ण किया जाएगा।
उधर ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने कहा है कि अगर अब सूडान इस समझौते से मुकरता है तो उसपर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएँ।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने सोमवार को हुए इस समझौते को "एक बहुत ही सकारात्मक संकेत" बताया और कहा कि अफ्रीकी संघ शांतिसैनिकों की भर्ती जल्द ही आरंभ करेगा।
सूडान के साथ ये समझौता तीन चरणों में है- पहले चरण में संयुक्त राष्ट्र पुलिस परामर्शदाताओं से हल्का सहायता पैकेज, असैनिक कर्मचारी और उपकरण और सामग्री, जो लगभग वहाँ पहुँच चुके हैं।
दूसरे चरण में तथा कथित भारी सहायता पैकेज जिसके लिए सूडान ने सोमवार को सहमति दी जिसमें छे लड़ाकू हेलीकॉप्टर सम्मिलित हैं जिसका खारतूम ने अंतिम मिनट तक विरोध किया था।
और तीसरा चरण है एक शांति सेना जिसमे 20 हज़ार से अधिक सैनिक और पुलिस है जिसे सूडान ने नहीं माना है।
सूडान ने साफ़ कर दिया है कि वो आशा करता है कि तीसरे चरण में जो एक तथाकथित हायब्रिड सेना है में केवल अफ्रीकी संघ की इनफैंट्री ही शामिल रहेगी। मगर संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ ने कहा है कि अगर पर्याप्त अफ्रीकी सैनिक न हुए तो दूसरे देशों को भी बुलाया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रभारी जॉन-मारी ग्यूहेन्नो ने बताया कि वे बृहस्पतिवार को शांति टुकड़ियों के लिए सैनिक भेजने वाले संभावित देशों के नेताओं से बात करेंगे, जिनमें से कई उस सेना के भविष्य को लेकर थोड़े संकोच में हैं जो अफ्रीकी संघ के नेतृत्व में कार्य करेंगे।
ख़ारतूम में अमरीकी उप विदेशमंत्री जॉन नेग्रोपोन्टे ने ख़ारतूम से उन मीलीशिया गुटों को निरस्त्र करने का आग्रह किया जिनपर दारफूर में नागरिकों के विरुद्ध भीषण आक्रमण करने का आरोप है। उन्होंने कहा कि ये मीलीशिया बिना सूडानी सरकार की सक्रिय सहायता के नहीं बने रह सकते।