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सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट: दिल्ली दूर है

१२ नवम्बर २०१०

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए भारत की दावेदारी का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने समर्थन किया है लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का भारत के लिए एक ही संदेश है. अभी दिल्ली दूर है.

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तस्वीर: AP

ओबामा से भारत को समर्थन मिलने पर शाह महमूद कुरैशी ने सूफी संत निजामुद्दीन औलिया की बात दोहराते हुए कहा, "हुनूज दिल्ली दूर अस्त." यानी अभी दिल्ली दूर है. कुरैशी के मुताबिक सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट पाना ओबामा के समर्थन के बावजूद भारत के लिए एक जटिल और लंबी प्रक्रिया साबित हो सकती है.

कुरैशी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान चाहता है कि सुरक्षा परिषद का व्यापक और लोकतांत्रिक तरीके से सुधार हो जिसमें उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए.

पाक विदेश मंत्री का कहना है कि उन्होंने चीन के विदेश मंत्री से बात की है और स्थाई सीट पर भारत की दावेदारी के संबंध में अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी चीन यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे. पाकिस्तान भारत की स्थाई सीट की दावेदारी का विरोध करता है और उसका कहना है कि इससे दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता प्रभावित हो सकती है.

पाकिस्तान के मुताबिक पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं और कश्मीर मुद्दे पर उसने संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का उल्लंघन भी किया है. इसके चलते पाकिस्तान मांग करता है कि भारत को स्थाई सीट नहीं दी जानी चाहिए.

पाकिस्तान की ओर से लगातार विरोध के विपरीत ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया है. जी20 देशों की बैठक के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के बीच मुलाकात हुई जिसमें ब्रिटेन ने भारत के प्रति समर्थन दोहराया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

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