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सुरक्षा परिषद में भारत की खातिर अमेरिकी संसद

२२ नवम्बर २०१०

दुनिया में शांति और विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता की तारीफ करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे स्थायी सीट दिलाने के लिए अमेरिकी संसद के निचले सदन में एक प्रस्ताव पेश किया गया है.

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भारत को शामिल करने की मांगतस्वीर: cc-by-sy David Gruban

अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में पेश इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र से अपील की गई है कि वह भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए जरूरी कदम उठाए. सांसद गुस बिलिराकिस ने सदन में ये प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव के मुताबिक अमेरिकी सांसद चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ को उन प्रक्रियाओं को शुरू कर देना चाहिए जिनके जरिए यूएन चार्टर में जरूरी बदलाव कर भारत को सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है.

बिलिराकिस के इस प्रस्ताव को संसद की विदेश मामलों की कमेटी के पास जरूरी कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां सभी राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने की आजादी है और उनका सम्मान किया जाता है. प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. भारत की सीमा के भीतर एक अरब से ज्यादा लोग रहते हैं. इसके साथ ही दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के लिए सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाले देशों में भारत भी है.

Obama in Indien
भारत में ओबामा की पहलतस्वीर: AP

प्रस्ताव में इस बात का भी जिक्र है कि भारत ने दुनिया में शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है साथ ही वो दक्षिण एशिया में शांति के साथ विकास को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है.

अमेरिकी संसद में पेश प्रस्ताव में साफ कहा गया है," हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव का ये मानना है संयुक्त राष्ट्र को आगे आकर उन प्रक्रियाओं को शुरू कर देना चाहिए जो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा का स्थायी सदस्य बनाने के लिए यूएन चार्टर के आर्टिकल 23 में बदलाव करने के लिए जरूरी हैं."

इसी महीने की शुरूआत में भारत आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय संसद में अपने भाषण में कहा था कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है. संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों में फिलहाल दुनिया के पांच बड़े देश हैं. इनमें अमेरिका के अलावा, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के केवल स्थायी सदस्यों के पास ही वीटो करने का अधिकार होता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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