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सुप्रीम कोर्ट से वोडाफोन को राहत नहीं

२७ सितम्बर २०१०

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार किया. भारत सरकार ने वोडाफोन पर कर लगाया जिसे कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि हच और वोडाफोन के बीच हुए 11 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे पर सरकार टैक्स लगा सकती है. 2007 में हुए इस सौदे के लिए कर विभाग ने वोडाफोन से 12 करोड़ रुपये टैक्स के तौर पर मांगे.

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया ने कहा, "कोर्ट ने कर अधिकारियों को नोटिस भेजा है कि वे चार सप्ताह में वोडाफोन की देनदारी तय करें. अगली सुनवाई और आदेशों को निलंबित करते हुए हम कर अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वे आज से चार सप्ताह में कर देनदारी तय करें."

खंडपीठ ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की वोडाफोन के वकील हरीश साल्वे की अपील को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कंपनी को कर का एक हिस्सा तो अदा करना ही होगा. "अगर आप उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक चाहते हैं तो आपको कर का एक कुछ हिस्सा जमा करना होगा. अब आपकी मर्जी है."

मामले पर अगली सुनवाई 25 अक्तूबर को होगी. याचिकाकर्ता को छूट दी गई है कि वह हल के साथ कोर्ट से संपर्क कर सकता है. लेकिन सर्वोच्च अदालत ने सलाह दी है कि फैसले पर रोक का दबाव न डालें. सरकार की तरफ से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल जी वाहनवती ने कहा कि कर विभाग चार हफ्तों में वोडाफोन की देनदारी तय करेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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