सुप्रीम कोर्ट: पद्मावत के रिलीज का रास्ता साफ किया जाए
२३ जनवरी २०१८सोमवार को मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों ही प्रदेशों ने शीर्ष न्यायालय से अपने पिछले आदेश पर पुनर्विचार करने की अपील की थी. राजस्थान सरकार का तर्क था कि वह फिल्म पर प्रतिबंध के पक्ष में इसलिए है ताकि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा, "लोगों को समझना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है और उसका पालन किया जाना चाहिए."
न्यायालय ने कहा, "हमारे आदेश का पालन प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए. कुछ लोग सड़कों पर उतरकर प्रतिबंध की मांग करते हुए कानून व्यवस्था को खराब करने के हालात पैदा करते हैं. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. राज्यों को कानून व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी."
राज्यों का पक्ष पेश कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून व्यवस्था का हवाला दिया, तो बेंच ने कहा कि ऐसा कहकर सरकारें अपनी कमजोरी बता रही हैं और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. बेंच ने साफ कहा, "आप सलाह दे सकते हैं कि जिन्हें यह फिल्म देखना पसंद नहीं है, वे इसे न देखें. लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य का काम है."
न्यायालय ने कहा कि किसी भी संकट की रचना का आभासी चित्र नहीं बनाया जा सकता. सॉलिसिटर मेहता ने जब अदालत से कहा कि फिल्म रिलीज के बाद संकट की स्थिति खड़ी हो सकती है, तो न्यायालय ने इसके उत्तर में कहा कि राज्यों को "यह आदेश मानना चाहिए, बाकी हम देख लेंगे जब यह हमारे पास आएगा." अदालत ने अखिल भारतीय करणी महासंघ की याचिका भी खारिज कर दी और कहा, "हम अपने आदेश को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं. संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म की रिलीज के लिए रास्ता साफ किया जाए."
कोर्ट के इस आदेश के बावजूद बॉलीवुड के बड़े बाजारों में गिने जाने वाले मध्यप्रदेश और राजस्थान के सिनेमाघर मालिक असमंजस की स्थिति मे हैं. यहां के सिनेमाघर मालिकों का कहना है कि उनके लिए राज्य सरकारों के स्पष्ट समर्थन के बिना फिल्म रिलीज करना मुश्किल है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को मध्यप्रदेश के एक सिनेमाघर मालिक संदीप जैन ने बताया कि वह फिल्म तो रिलीज करना चाहते हैं, लेकिन सरकार से कोई समर्थन नहीं मिल रहा है. जैन के मुताबिक, "जब हमने स्थानीय पुलिस से मदद के लिए कहा तो हमें दो टूक कह दिया गया कि अपने जोखिम पर फिल्म दिखाओ." जैन के मध्यप्रदेश में सात सिनेमाघर हैं.
करणी सेना सरीखे कुछ हिंदुवादी गुट फिल्म के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. एक राजपूत गुट सर्व कायस्थ महासभा ने छत्तीसगढ़ में कहा कि वह न्यायालय के आदेश के बावजूद फिल्म के खिलाफ अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. इस गुट से जुड़े राकेश सिंह ने रॉयटर्स को बताया, "हम पहले ही सिनेमा हॉल मालिक को मौखिक और लिखित रूप में फिल्म न दिखाने के लिए कह चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी वह ऐसा करते हैं तो उसके बाद के परिणामों के लिए हम जिम्मेदार नहीं है."
एए/आईबी (आईएएनएस, रॉयटर्स)