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सीरियाई शहर में घास खाकर जिंदा लोग

८ जनवरी २०१६

भूख से अंदर धंसे चेहरे, रीढ़ की हड्डी से चिपका पेट और पसलियों पर झुर्रियों के साथ लिपटी खाल, ये मंजर दिखाई दे रहे हैं सीरियाई शहर मदाया से आ रही तस्वीरों में.

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Syrien - Hungersnot in Madaja
तस्वीर: Aktivisten aus Madaja

गृह युद्ध के चलते मदाया में भुखमरी की मार और मदद पहुंचने में दिक्कतें. सितंबर से वहां कोई मदद नहीं पहुंची है. सोशल मीडिया पर मदाया की तस्वीरें इस चर्चा के साथ शेयर हो रही हैं कि लोगों ने अब वहां जिंदा रहने के लिए घास, पत्ते और यहां तक मिट्टी भी खाना शुरू कर दिया है. कई रिपोर्टों के मुताबिक लोगों ने कुत्ते बिल्लियों को मार कर खाना शुरू कर दिया है. कुछ न्यूज संस्थानों से जारी किए गए वीडियो में पीड़ित अपनी स्थिति बयान कर रहे हैं. माएं शिशुओं को दूध नहीं दे पा रही हैं. उसकी जगह बच्चों को पानी में नमक घोल कर दे रही है.

मदाया में रहने वाले 27 वर्षीय मुहम्मद ने एएफपी को बताया, "हम लोग रोटी का स्वाद भूल चुके हैं." मदाया और जबादानी, दोनों ही शहर विद्रोहियों के कब्जे में हैं. राष्ट्रपति बशर अल असद का विरोध कर रहे विद्रोहियों के अलावा खुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले कट्टरपंथी संगठन का भी शहर पर कब्जा है. इलाके में जारी संघर्ष के बीच मदद यहां नहीं पहुंच पाई है. इलाका असद सरकार की सेना से घिरा है. निवासियों का कहना है कि पिछले तीन महीने में उन तक सिर्फ एक बार मदद पहुंची है.

32 वर्षीय मोमीना ने बताया कि दो दिन से उनके मुंह में पानी के अलावा कुछ भी नहीं गया है. ब्रिटेन की मानव अधिकार ऑब्जरवेटरी के मुताबिक खाने पीने और दवाओं की किल्लत में अब तक 10 लोग दम तोड़ चुके हैं.

Syrien Hungernde in Madaya
तस्वीर: Reuters

संस्था का कहना है कि शहर से भागने की कोशिश करने वाले 13 लोग बंदूकधारियों का निशाना बन गए. मदाया के चारों ओर सेना ने सितंबर से तार की बाड़ बना रखी है. शहर में रह रहे लोगों में से करीब 1200 गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. 300 से ज्यादा बच्चे कुपोषण या अन्य समस्याओं की चपेट में हैं. संस्था के निदेशक रमी अब्देल रहमान ने बताया कि एक आदमी ने 10 किलो चावल के बदले अपनी कार बेचने का फैसला किया. ऐसा वहां कई लोग कर रहे हैं. लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. उसके एक रिश्तेदार की इस बीच खाने की किल्लत से मौत भी हो गई. मदाया में मौजूद पत्रकार मोआज अल कलमुनी ने बताया कि युवा, बच्चे और औरतें भूख से कंकाल जैसे दिखने लगे हैं.

एसएफ/एमजे (एएफपी)