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सीरिया शांति वार्ता से जुड़ी उम्मीदें

२३ फ़रवरी २०१७

नाउम्मीदी के माहौल में जेनेवा में सीरिया शांति वार्ता प्रारम्भ हो रही है. संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाली इन वार्ताओं का लक्ष्य सीरिया में लंबे समय से जारी हिंसा और राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने का रास्ता तलाशना है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Karwashan

करीब 10 महीने के अंतराल के बाद एक बार फिर गुरुवार को जेनेवा में सीरिया शांति वार्ता शुरु हो रही है. वार्ता की पूर्व संध्या पर ही सीरिया में सक्रिय रूस ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद से बमबारी रोकने की अपील की है. लेकिन वार्ता के लिए जरूरी सभी पक्षों के मौजूद होने के बावजूद यूएन दूत श्टेफान दे मिस्तुरा ने माना कि उन्हें इस वार्ता से शांति हासिल करने का रास्ता निकलने की उम्मीदें काफी कम हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अनुभवी राजनयिक मिस्तुरा ने कहा, "क्या मुझे किसी जबर्दस्त मोड़ की उम्मीद है? नहीं, मुझे नहीं लगता कि कोई ब्रेकथ्रू होने वाला है." उनका अनुमान है कि इस वार्ता से अधिक से अधिक भविष्य की वार्ताओं को गति मिलेगी. सीरिया सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूएन दूत बशर अल-जाफरी कर रहे हैं. विपक्ष की हाई नेगोशिएशंन कमेटी (एसएनसी) के प्रमुख प्रतिनिधि हृदयरोग विशेषज्ञ नसर अल-हरीरी और वकील मोहम्मद सबरा हैं.

एसएनसी के प्रवक्ता ने वार्ता शुरु होने से पहले कहा कि वे सरकारी प्रतिनिधियों के साथ आमने सामने बातचीत करना चाहते हैं. प्रवक्ता सलेम अल-मेसलेत ने कहा, "हमने सीधी वार्ता की मांग की है. इससे समय भी बचेगा और इस मुद्दे को लेकर गंभीरता का सबूत भी मिलेगा. बजाए इसके कि अलग अलग कमरों में बातचीत की जाए."

जेनेवा में इसके पहले पिछले साल हुई तीन चक्र की वार्ताओं में सीरिया के दोनों पक्षों को कभी एक दूसरे के साथ सीधा संवाद करने का मौका नहीं मिला. यूएन दूत मिस्तुरा बारी बारी से दोनों पक्षों से बात करते और उन तक दूसरे पक्ष की बात पहुंचाते. इस बार मिस्तुरा ने भी उम्मीद जताई थी कि वे दोनों पक्षों को वार्ता के लिए एक साथ ला सकेंगे लेकिन वार्ता के ठीक पहले हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की. मिस्तुरा ने कहा कि पहले वे दोनों पक्षों से खुद अलग अलग बात करना चाहेंगे.

अप्रैल 2016 में संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित आखिरी वार्ता के समय से अब तक सीरिया में स्थिति काफी बदल चुकी है. अब विद्रोही पहले के मुकाबले काफी कमजोर स्थिति में हैं. सेना ने विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी अलेप्पो जैसे कई इलाकों को वापस ले लिया है और पहले असद का कड़ा विरोध करने वाला अमेरिका अब ट्रंप के नेतृत्व में सीरिया पर अपनी स्थिति का "पुनर्मूल्यांकन" कर रहा है. लेकिन असद के सत्ता में रहने या हटने की सबसे बड़ी समस्या अब भी बनी हुई है. दिसंबर के अंत में विपक्ष का समर्थन करने वाले तुर्की और सरकार का समर्थन करने वाले रूस के बीच बातचीत से युद्ध रोकने पर सहमति बनी थी. इस समझौते से हिंसा कम तो हुई थी लेकिन इस हफ्ते फिर से हिंसा में तेजी आई है. सरकारी सेनाओं ने दमिश्क के पास विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में बमबारी की है.

असद के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सभी पक्ष बंटे हुए हैं. मिस्तुरा के दफ्तर ने कहा था कि वार्ता का लक्ष्य सीरिया में "राजनीतिक परिवर्तनकाल" लाना है. संयुक्त राष्ट्क के लिए इस "पोलिटिकल ट्रांजिशन" की परिभाषा में कई तरह के विकल्प शामिल हो सकते हैं लेकिन विपक्ष इसका अर्थ असद को हटाया जाना समझता है. सीरियाई हिंसा की चपेट में पिछले छह सालों में तीन लाख, दस हजार से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है.

आरपी/एमजे (एएफपी)