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सीडब्ल्यूजी में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी

४ अक्टूबर २०१०

केन्या की नेशनल स्क्वैश चैंपियन खलीजा निजमी कॉमनवेल्थ खेलों में भले ही हार गई हो पर उसने ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया जो आसानी से टूटेगा नहीं. खलीजा इन खेलों में भाग लेने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई.

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खलीजा की उम्र महज 12 साल है और वह 8वीं क्लास में पढ़ती है. जिम्मेदारियों से बेपरवाह होने की इस उम्र में खलीजा अपने देश का झंडा बुलंद करने की जिम्मेदारी अपने नाजुक कंधों पर लेकर दिल्ली पंहुची हैं. हालांकि अपने देश से दूर भारत में उसे घर की काफी याद सता रही है लेकिन फिर भी वह अपने पहले मैच में पूरे दम खम से उतरी.

यह बात अलग है कि अपने देश में बड़ों के भी दांत खट्टे कर देने वाली खलीजा गुयाना की निकोलेट फर्नांडीज से हार गई. वर्ल्ड रेंकिंग में 27 नंबर की खिलाड़ी निकोलेट ने खलीजा को 11-0, 11-3, 11-1 से हरा दिया. इस हार के बावजूद खलीजा निराश नहीं है. मैच के बाद उसने बताया "इन खेलों में हिस्सा लेकर मैं बेहद रोमांचित हूं क्योंकि मैं बाकी सब खिलाड़ियों की तुलना में काफी छोटी हूं. निकोलेट बहुत अच्छी खिलाड़ी है और उसके साथ खेलने का बढ़िया अनुभव रहा."

अनुभवी अंदाज में खलीजा कहती हैं कि निकोलेट ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया. हालांकि उसने इस मैच को जीतने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन मैच जीत नहीं सकी. खलीजा मानती है कि अब तक वह जितने भी खिलाड़ियों के साथ खेली है निकोलेट उनमें सबसे बेहतरीन है.

कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी का रिकॉर्ड बनाने वाली खलीजा का सपना दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनना और निकोल डेविड के साथ खेलना है.

पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही खलीजा हालांकि भारत के बारे में काफी कम जानती है लेकिन भारत के लजीज खाने की दीवानी हो गई है. चिकन टिक्का और नान देखते ही खलीजा बेकाबू हो जाती है. भारत पंहुचने के बाद से वह सिर्फ नान और चिकन टिक्का ही खा रही है.

खलीजा को खेल विरासत में मिला है. उसके पिता सदरी निमजी टेनिस खिलाड़ी रहे हैं और 1990 में अपने देश के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेल चुके हैं. निमजी ने बताया कि पहले तो खलीजा ने टेनिस की ट्रेनिंग से खेल करियर की शुरूआत की थी लेकिन कुछ समय बाद ही उसका रुझान स्क्वैश की तरफ हो गया. हालांकि वह इसे खलीजा का अच्छा फैसला बताते हैं क्योंकि इसमें कड़ी मेहनत के बल पर वह केन्या में दूसरे नंबर की प्लेयर बन गई है.

खलीजा अपने पिता के साथ ही भारत आई है लेकिन खेल नियमों के मुताबिक उसे खेलगांव में पिता के बिना ही रहना पड़ रहा है. खेलगांव पंहुचने के बाद से वह पिता से सिर्फ एक बार ही मिल सकी है. उसका कहना है कि वह अपनी मां और भाइयों को भी काफी मिस कर रही है. खलीजा बताती है कि खेलगांव में उसे अच्छा लग रहा है लेकिन प्रेक्टिस से फुर्सत मिलते ही वह पिता से फोन पर ही बात करती रहती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः ए कुमार