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सिर ढक कर तुर्की की संसद में

३१ अक्टूबर २०१३

गुरुवार को तुर्की की संसद में चार महिला सांसदों ने सिर ढक कर प्रवेश किया और इसके साथ ही दफ्तरों में मुस्लिम प्रतीकों के साथ जाने पर लगी रोक खत्म हो गई. यह रोक तुर्क गणराज्य बनने के शुरुआती दिनों में लगाई गई थी.

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तस्वीर: Adem Altan/AFP/Getty Images

मुस्लिम बहुल देश तुर्की में यह आज भी बहुत विवाद का विषय है कि महिलाएं सिर ढकें या नहीं. 1923 में सख्त धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का प्रभाव देश पर लागू हुआ. हालांकि सार्वजनिक रूप से धार्मिक भावना के प्रदर्शन की इच्छा हाल के वर्षों में लोगों के अंदर जगी है. सरकारी संस्थानों में सिर ढक कर जाने पर लगी पाबंदी में छूट प्रधानमंत्री रेचप तैय्यप एर्दोआन ने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए शुरू किए सुधार कार्यक्रम के तहत दी है. यह कार्यक्रम इसी साल सितंबर में शुरू किए गए. हालांकि जज, अभियोजन, सेना और सुरक्षा अधिकारियों के लिए यह पाबंदी अभी भी कायम है.

Türkei Türkische Politikerinnen tragen Kopftuch
तस्वीर: Reuters

सिर ढक कर जाने वाली चारों सांसद सेवदे बेयाजीत काकर, गुलाय समानाची, नुर्कान दालबुदाक और गोनुल बेकिन साकुलुबे, एर्दोआन की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी यानी एकेपी की सदस्य हैं. इस्लामी जड़ों वाली इस राजनीतिक पार्टी की करीब 7.4 करोड़ की आबादी वाले देश में जबर्दस्त पकड़ है. एकेपी के सुधार कार्यक्रम की तुर्की के बहुत से लोग आलोचना कर रहे हैं. उन्हें डर है कि इससे इस्लाम का आधिकारिक स्तर पर उदय होगा. हालांकि प्रमुख विपक्षी पार्टी सीएचपी ने चारों सांसदों की हरकत पर प्रतिक्रिया न देने का फैसला किया है. विपक्षी दल के कुछ सदस्य सत्ताधारी पार्टी पर राजनीतिक फायदे के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करने के आरोप लगा रहे हैं. सीएचपी का गठन तुर्की के संस्थापक माने जाने वाले मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने किया था और 1920 में सिर ढकने पर पाबंदी भी उन्होंने ही लगाई थी. गुरुवार को धर्मनिरपेक्षों की तुलनात्मक रूप से ठंढी प्रतिक्रिया से कुछ लोगों को थोड़ी हैरानी भी हुई है. इससे पहले इस तरह की घटनाओं पर खासा बवाल मचा था.

1999 में नई सांसद चुनी गईं मरने कावाकी ने सिर ढक कर शपथ लेने की कोशिश की थी. उस वक्त के वामपंथी रुझान वाले प्रधानमंत्री बुलेंट एचेवित ने तब सांसदों से कहा, "इस महिला को उसकी जगह पहुंचा दो." इसके बाद वहां मौजूद सांसद "बाहर जाओ" के नारे लगाने लगे और कावाकी इमारत से बाहर निकल गईं. 2001 में कावाकी ने अपनी सीट गंवा दी.

Erdogan PK Budapest 05.02.2013
तस्वीर: Attila Kisbenedek/AFP/Getty Images

एकेपी के सांसद मानते हैं कि सिर ढकने पर लगी रोक नागरिक अधिकार का मुद्दा है जिसने धार्मिक महिलाओं को तुर्की की राजनीति में आने से रोक रखा है. सत्ताधारी पार्टी के सदस्य ओजनुर कालिक ने कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि हमने महिलाओं और पुरुषों के बीच बराबरी की अनदेखी की है, लेकिन आज मेरा ख्याल है कि कह सकते हैं कि हमने यह समस्या हल कर ली है."

मुस्लिम महिलाएं क्या पहनें यह मुस्लिम और गैरमुस्लिम दोनों तरह के देशों में राजनीतिक संघर्ष का मुद्दा रहा है. मुस्लिम बहुलता वाले ईरान में महिलाओँ को सार्वजनिक जगहों पर अपना सिर ढक कर रखना होता है. उधर फ्रांस में 2011 यूरोप का पहला ऐसा देश बन गया जिसने सार्वजनिक रूप से चेहरा ढकने पर रोक लगा दी. इस कदम का मुस्लिमों ने काफी विरोध किया और कहा कि इसके जरिए उनके समुदाय को भेदभाव का निशाना बनाया जा रहा है.

एनआर/एमजे (एपी, एएफपी)