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मंथन 93 में खास

२३ जून २०१४

साइंस के शो मंथन में इस बार बात सार्स वायरस को रोकने वाली नई दवा की, साथ ही जानेंगे क्या है इंप्लाटेंशन जेनेटिक डायग्नोसिस तकनीक.

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तस्वीर: picture-alliance/AP

मंथन में इस बार बात होगी मेडिसिन जगत की. सार्स जैसी बीमारियों का अब तक इलाज नहीं मिला है. इस बीमारी के कारण साल 2003 में 800 लोगों की मौत हुई. बॉन और म्यूनिख के वायरस विशेषज्ञों ने एक ऐसी दवा बनाई है जो सार्स वायरस की वृद्धि को रोक सकती है. इस दवा का नाम है साइक्लोस्पोरिन और इसमें खास बात यह है कि यह अलग अलग तरह की कोरोना वायरस पर असर करती है.

लेकिन साइक्लोस्पोरिन के नुकसान भी हैं. इसके इस्तेमाल के कारण शरीर की प्रतिरोधी क्षमता दब जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है. वैज्ञानिकों की योजना है कि साइक्लोस्पोरिन के मॉलिक्यूल को ऐसे बदला जाए जिससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बनी रहे और कोरोना वायरस भी खत्म हो जाए. इस कदम में वैज्ञानिक कितने आगे बढ़े हैं जानिए मंथन के नए अंक में.

बड़ी बीमारी रोकेगी जीन्स की जांच

प्री इंप्लाटेंशन जेनेटिक डायग्नोसिस के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चे को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं. इस तकनीक में भ्रूण की कोशिकाओं की जांच की जाती है. पिछले 20 सालों से यह तकनीक दुनिया के अन्य देशों में इस्तेमाल की जा रही है. लेकिन जर्मनी में इसका इस्तेमाल इसी साल शुरू हुआ. निषेचन के कुछ ही दिनों में मशीनों की मदद से जीन्स की जांच संभव होती है.

जर्मनी में सबसे पहले लुइबेक यूनिवर्सिटी क्लीनिक के डॉक्टरों को इस तकनीक के इस्तेमाल की इजाजत मिली है. जहां मां बाप किसी आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित हैं, वहां महिला के अंडाणु की जांच हो सकती है. लेकिन भ्रूण की जांच के लिए जर्मनी में कड़े कानून हैं, जबकि अंडाणु की जांच आसानी से हो सकती है. इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर डॉक्टरों के सामने कई चुनौतियां भी हैं. मंथन में इन चुनौतियों के बारे में बात होगी.

गाय और मीथेन गैस

गाय एक दिन में करीब 300 से 500 लीटर मीथेन गैस छोड़ती है. इतनी गैस पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है. वैज्ञानिक अब इस समस्या का हल ढूंढ रहे हैं. जुगाली करने वाले जानवर घास चबाने के दौरान डकार लेते हैं और मीथेन गैस निकालते हैं. दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब एक तिहाई हिस्सा जुगाली करने वाले जानवरों से आता है. एक किलो मीथेन जलवायु को कार्बन डाई ऑक्साइड से कहीं ज्यादा हानि पहुंचा सकती है.

जर्मनी के वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि गायों से निकलने वाली मीथेन को कैसे कम किया जा सकता है. वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि क्या अलग अलग तरह के चारे से मीथेन उत्सर्जन पर फर्क पड़ता है या नहीं. मंथन में इस बारे में विस्तार से रिपोर्ट.

शौक के आगे सबकुछ फीका

इटली के कार मैकेनिक मोरेनो फिलांदी अपनी पसंद की कार खुद बनाते हैं. डिजाइन से लेकर एल्यूमिनियम कटिंग तक, सब काम वे खुद करते हैं. उन्होंने एक फर्राटेदार कार तैयार की है. इसके पीछे उन्होंने कड़ी मेहनत की. पेट पालने के लिए मोरेनो दुर्घटनाग्रस्त कारों पर काम करते हैं और मोटरों की ट्यूनिंग करते हैं. खाली वक्त सारा सपनों की गाड़ी बनाने में निकल जाता है. मंथन में मुलाकात मोरेनो और उनकी बनाई ऐसी कार से जो एक घंटे में 340 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है.

मंथन शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी नेशनल पर.

एए/आईबी