साफ़ पानी के मामले में भारत नीचे से दूसरा
२२ मार्च २०१०पानी हमारे जीवन का सबसे आवश्यक हिस्सा है. लेकिन फिर भी पूरी दुनिया में 88 करोड़ लोगों को पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिल रहा है.
इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ रेड क्रास एंड रेड क्रीसेंट संस्था (आईएफआरसी) का मानना है कि मौसम में बदलाव, लोगों का बिना योजना बनाए शहरों की तरफ तेज़ी से बढ़ना और माइग्रेशन जैसे कारण दुनिया भर के ग़रीब समुदाय पर बुरा असर डाल रहे हैं.
दक्षिण-पूर्वी एशिया के स्वच्छता और सफाई के संरक्षक जेन एड्गर कहते हैं कि प्रण लेने का समय अब आ गया है. वह कहते हैं कि, " साफ़ पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य शिक्षा मिलना, आपकी किस्मत और जन्म स्थल पर निर्भर नहीं करना चाहिए. ये एक जन्म सिद्ध अधिकार है. जो अमीर और ग़रीब दोनों को दिया जाना चाहिए".
आईएफआरसी संस्था के आंकड़ों की माने तो विश्व के 2.7 अरब लोग और 98 करोड़ बच्चे फ़िलहाल उचित सफ़ाई सुविधाओं से वंचित हैं. आईएफ़आरसी के मुताबिक विकासशील देशों के अस्पतालों के 50 प्रतिशत कमरे गंदे पानी से फैलने वाली बीमारियों से पीड़ित लोगों से भरे हैं.
एशिया और अफ़्रीका की बात करें तो यहां की महिलाएं पानी लेने के लिए रोज ही औसतन 6 किलोमीटर पैदल चलती हैं.
अंतरराष्ट्रीय ग़ैर सरकारी संगठन वॉटर एड के विशेष रूप से भारत के तथ्य कहते हैं –
· भारत के 1 करोड़ 95 लाख ग्रामीण नागरिकों को साफ पीने का पानी नहीं मिलता है.
· शहरी इलाक़ों के 11 प्रतिशत घरों में साल के कई दिन किसी भी प्रकार का पानी नहीं मिलता.
· गंदे पानी से होने वाली बीमारी डायरिया से 5 साल से कम उम्र के लगभग 3 लाख 86 हज़ार बच्चों की हर साल मौत होती है.
· पानी की उपलब्धता की बात करें तो भारत 180 देशों में 133 स्थान पर है.
· पानी की गुणवत्ता में भारत 122 देशों में 120 वें स्थान पर है.
आईएफ़आरसी संस्था पानी को बचाने और उसका सही उपयोग करने के लिए सभी देशों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है. आईएफआरसी ने 2015 तक 70 लाख लोगों तक साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/श्रेया कथूरिया
संपादनः आभा मोंढे