सर्जिकल स्ट्राइक पर क्या बोले पाकिस्तान के अखबार
३० सितम्बर २०१६उड़ी हमले के बाद कदम उठाने का दबाव झेल रही भारतीय सेना ने गुरुवार को घोषणा की कि उसने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तानी कश्मीर में कार्रवाई की है और कई आंतकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया है. पहले पाकिस्तान की सरकार की तरफ से इसकी निंदा की गई लेकिन कुछ देर बाद सर्जिकल स्ट्राइक के भारत के दावे को खारिज कर दिया गया. पाकिस्तान की सेना और सरकार का कहना है कि ये सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि गोलीबारी की कार्रवाई थी.
पाकिस्तान के उर्दू के बड़े अखबारों में से एक 'जंग' की सुर्खी है- "सर्जिकल स्टाइक का झूठा भारतीय दावा खारिज.” अखबार लिखता है कि इस बारे में भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया गया है और कहीं भी अगर कोई कार्रवाई हुई तो इसका मुंहतोड़ जबाव दिया जाएगा.
'नवा-ए-वक्त' ने भी नियंत्रण रेखा को पार कर कार्रवाई करने के दावे को भारत का नया झूठ बताया है. हालांकि अखबार ने नियंत्रण रेखा के पास फायरिंग की घटनाओं में पाकिस्तान के दो सैनिकों की मौत और नौ के जख्मी होने की खबर दी है.
अखबार ने अपने संपादकीय में भी इस मुद्दे को उठाया है. अखबार कहता है कि अगर मोदी सरकार आज सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा करती है तो कल को वो इस पर अमल भी कर सकती है, इसलिए हमें एटमी हथियार वाले अपने घोड़े तैयार रखने हैं. अब दुश्मन के साथ अमन की एकतरफा कोशिश करना बेमानी है. अखबार के मुताबिक पूरा ध्यान पाकिस्तान की सुरक्षा पर देना होगा.
वहीं 'एक्सप्रेस' की हेडलाइन है, "कंट्रोल लाइन पर फायरिंग में दो जवान शहीद, जवाबी कार्रवाई में 14 इंडियन फौजी मारे गए." अखबार ने पाकिस्तान सेना की तरफ से एक भारतीय सैनिक की गिरफ्तारी के दावे को भी अपनी खबर में प्रमुखता से जगह दी है. वहीं दुनिया की खबर में 8 भारतीय सैनिकों के मारे जाने की बात कही गई है.
दैनिक 'आज' ने भारत की तरफ से हुई कार्रवाई को आक्रामकता बताया है. अखबार कहता है कि ये अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की जिम्मेदार बनती है कि वो भारत को आक्रामक कदम उठाने से रोके. अखबार के मुताबिक बेबुनियाद इल्जाम लगाने और कश्मीर में निहत्थे लोगों पर भारतीय सेना के जुल्मों का नोटिस लिया जाए. अखबार ने कश्मीर के हल के लिए वहां जनमत संग्रह कराने से जुड़े संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर अमल की बात भी कही है.
वहीं 'मशरिक' की पहली खबर है- भारत की हठधर्मी से सार्क कांफ्रेस रद्द. 'इंसाफ' ने भी इस मुद्दे पर संपादकीय लिखते हुए कहा है कि भारत के आरोपों का सख्ती से जबाव दिया जाए और इससे पूरे क्षेत्र को जो खतरे पैदा हो रहे हैं, उसकी तरफ दुनिया का ध्यान दिलाने की जरूरी है.
रिपोर्ट: अशोक कुमार