समुद्री लुटेरों के ख़िलाफ़ अभियान को हरी झंडी
२१ नवम्बर २००८संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय नौसेना को समुद्री लुटेरों के ख़िलाफ़ अपना अभियान शुरू करने की अनुमति दे दी है. इसके लिए नौसेना को सोमालियाई जल क्षेत्र में जाने की इजाज़त होगी और लुटरों से निपटने के लिए नौसेना हर संभव कदम उठाएगी. इसके लिए नौसेना ने क्षेत्र में युद्धपोत तैनात करने का फ़ैसला लिया है.
भारतीय नौसेना के चीफ़ एडमिरल सुरेश मेहता ने एक भारतीय न्यूज़ चैनल को बताया कि अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में जहाज़ अग़वा किए जाने और फ़िरौती वसूले जाने की घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय नौसेना को इजाज़त दे दी गई है. उनका कहना है कि अपने क्षेत्र से बाहर समुद्री लुटेरों के ख़िलाफ़ कारवाई करने के लिए नौसेना को क़ानून के अनुरूप कदम उठाए जाने की ज़रूरत थी.
बुधवार को नौसेना के आईएनएस तबर ने समुद्री लुटेरों के एक जहाज़ को जवाबी कारवाई में ध्वस्त कर दिया था. आईएनएस तबर का साथ देने के लिए जल्द ही एक अन्य युद्धपोत अदन की खाड़ी पहुंच रहा है. अदन की खाड़ी में पिछले कुछ हफ़्तों में जहाज़ अग़वा किए जाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. जापानी कंपनी के जहाज़ स्टोल्ट वेलोर को दो महीने अग़वा कर के रखा गया और फ़िरौती की रक़म मिलने पर नाविकों को रिहा किया गया. इनमें 18 भारतीय नाविक थे.
मंगलवार को लुटेरों ने सऊदी अरब के सिरियस स्टार को अग़वा किया जिस पर 10 करोड़ डॉलर मूल्य का तेल लदा है और एक अन्य घटना में एमवी डिलाइट जहाज़ का अपहरण किया गया था जिस पर मौजूद 25 नाविकों में से 7 भारतीय हैं. जुलाई से सितम्बर महीने तक 26 जहाज़ों का अपहरण हुआ जिसमें 537 नाविकों को बंधक बनाया गया था.