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समरसता की खातिर अमेरिकी मुसलमानों की मुहिम

३१ अगस्त २०१०

1960 में केनेडी के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में नस्ली समन्वय के लिए एक मुहिम छेड़ी गई थी. अब वहां के एक मुस्लिम संगठन ने देश में बढ़ती हुई मुस्लिम विरोधी भावनाओं के खिलाफ संघर्ष शुरू किया है.

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तस्वीर: AP

माई फेथ, माई वॉयस नामक इस संगठन की ओर से एक वेबसाइट खोली गई है, जिसमें विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच संपर्क और संवाद को प्रोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है. संगठन के लोगों का कहना है कि वे जल्द ही टेलिविजन पर भी विज्ञापन देने वाले हैं.

वेबसाइट पर एक मिनट का एक वीडियो क्लिप है, जिसमें विभिन्न नस्लों व पेशों के मुस्लिम पुरुष व महिलाएं हैं. वे अलग अलग अंदाज में अंग्रेजी या स्पेनी भाषा बोलते हैं. वे कहते हैं, मैं यहां कई पीढ़ियों से हूं. मेरी चाहत भी तुम्हारी जैसी है, आजादी, अमन और खुशी के साथ जीने का मौका. मैं अमेरिकी हूं, मैं मुसलमान हूं. यह मेरी आस्था है, यह मेरी आवाज है.

इस पहलकदमी के साथ जुड़े हसन अहमद ने कहा कि अमेरिकी मुसलमान के तौर पर वह इस बात से खास तौर पर चिंतित हैं कि किस तरीके से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मुसलमान विरोधी भावनाएं फैलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि इस वेबसाइट में लोग अपने वीडियो भेज सकते हैं और अपनी ओर से भी पहल कर सकते हैं. मकसद यह है कि अमेरिका के विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोगों के बीच समरसता बढ़ाई जाए.

अमेरिका में पिछले समय में इस प्रकार के कई अभियान शुरू किए गए हैं. पिछले हफ्ते काउंसिल फॉर अमेरिकन इस्लामिक रीलेशंस नामक संगठन की ओर से अमेरिका के मुसलमानों के लिए एक पुस्तिका प्रकाशित की गई है, जिसमें कहा गया है कि इस्लाम को सकारात्मक ढंग से पेश करने के लिए क्या किया जा सकता है.

पिछले हफ्ते न्यूयार्क में नशे में एक व्यक्ति ने यह जानने के बाद बांग्लादेश के एक टैक्सी ड्राइवर को छुरा मारकर घायल कर दिया कि वह मुसलमान है. राजनीतिज्ञों की ओर से इन पर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है. न्यूयार्क का ग्राउंड जीरो अमेरिका में सहिष्णुता और भेदभाव के बीच खींचतान का एक प्रतीक बन गया है. वहां एक मुस्लिम सेंटर बनाने की पहल छेड़ी गई है. कुछ हलकों में इसका विरोध भी हो रहा है. बहस का एक मुद्दा यह भी है कि राष्ट्रपति ओबामा ने इस सिलसिले में कहा था कि उनकी राय में सभी धर्मों की अभिव्यक्ति का मौका होना चाहिए. लेकिन अगले ही दिन पीछे हटते हुए उन्होंने कहा कि उनकी राय में यह जरूरी नहीं है कि ग्राउंड जीरो के नजदीक ही एक मुस्लिम सेंटर बनाया जाए.

और रविवार को एनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, अगर आप वहां कोई गिरजा बनाते हैं, अगर आप वहां यहूदियों का सिनागॉग बनाते है या हिंदुओं का मंदिर बनाते हैं, फिर मुसलमानों के साथ अलग बर्ताव नहीं किया जा सकता, जो अमेरिकी है, जो अमेरिका के नागरिक हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

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