समंदर से जहाज के जहाज चोरी
१७ नवम्बर २०१६इंडोनेशिया में जावा सागर से तीन युद्धपोतों का मलबा गायब है. यह पता चलने के बाद अंतरराष्ट्रीय जांच बैठा दी गई है. नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि 1942 में डूबे इन दो युद्धपोतों का मलबा पूरी तरह गायब हो चुका है. तीसरे युद्धपोत का ज्यादातर हिस्सा भी गायब है. ब्रिटेन के डूबे युद्धपोतों का मलबा भी लापता है.
2002 में कुछ गोताखोरों ने वहां गोता लगाया और तब तक जहाजों का मलबा सुरक्षित था. 2017 में जावा सागर में हुई जंग की 75वीं वर्षगांठ मनाई जानी है. इसी वजह से मलबे की खोज की गई और चोरी का वाकया सामने आया.
ब्रिटेन और नीदरलैंड्स के कई जहाज जावा सागर की लड़ाई में डूबे थे. फरवरी 1942 में हुई उस लड़ाई में जावा सागर मित्र सेनाओं के लिए कब्रगाह साबित हुआ. जापान की फौज ने नीदरलैंड्स, ब्रिटेन, अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई फौज को बुरी तरह हराया. इसे दूसरे महायुद्ध की सबसे खर्चीली लड़ाइयों में भी गिना जाता है. जावा सागर में मिली जीत के बाद पूर्वी एशिया में जापान का दबदबा हो गया. जापान ने पूरे डच ईस्ट इंडीज को कब्जे में ले लिया.
इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया के आस पास के समंदर में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 100 से ज्यादा जहाज और पनडुब्बियां डूबे. कई दशकों से गोताखोर इन मलबों के इर्द गिर्द गोता लगाते रहे. वहां से बड़ी मात्रा में धातुएं और कीमती चीजें भी चुराई गई.
नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्रालय ने मलबे की चोरी को गैरकानूनी करार दिया है. नौसेना के युद्धपोत और युद्ध का कब्रिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सुरक्षित रखे जाने चाहिए. डच वार ग्रेव्स फाउंडेशन के निदेशक थियो फ्लॉगेल्स ने अपील करते हुए कहा है कि, "जो लोग मारे जा चुके हैं, उन्हें शांति में रहने दो."
वहीं इंडोनेशिया ने मलबा गायब होने का आरोप खुद पर लेने से इनकार किया है. इंडोनेशिया के नेशनल आर्कियोलॉजिक सेंटर के प्रमुख बामबांग बुदी यूटोमो ने कहा, "डच सरकार इंडोनेशिया की सरकार पर आरोप नहीं लगा सकती क्योंकि उन्होंने हमसे कभी इन जहाजों की सुरक्षा करने को नहीं कहा. कोई समझौता भी नहीं हुआ था. ऐसे में अगर जहाज गायब हुए हैं तो यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है." इंडोनेशिया 1945 तक नीदरलैंड्स का उपनिवेश रह चुका है.
(द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत)
ओएसजे/आरपी (एएफपी)