1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सचमुच हुई जासूसी: जर्मन मीडिया

९ जुलाई २०१५

व्हिसलब्लोअर प्लेटफॉर्म विकीलीक्स के ताजा खुलासों पर जर्मनी में सरकार ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की, लेकिन विपक्ष की ओर से चांसलर पर कुछ बोलने का दबाव बढ़ रहा है. ताजा खुलासों के अनुसार जासूसी का आयाम कहीं बड़ा था.

https://p.dw.com/p/1FvWc
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन दैनिक ज्यूड डॉयचे साइटुंग का कहना है कि एनएसए की टेलिफोन लिस्ट देखने पर ध्यान में यह बात आती है कि विदेश और सुरक्षा नीति के लिए जिम्मेदार चांसलर कार्यालय का 'विभाग 2' कई बार दिखता है. अखबार लिखता है, "अर्थनीति विभाग का भी इसमें जोरदार प्रतिनिधित्व है और 'विभाग 6' का जो जर्मनी की खुफिया सेवा के लिए जिम्मेदार है."

हाइजे ऑनलाइन का कहना है कि जुलाई के शुरू में ही वह सूची सामने आई थी जो दूसरे टेलिफोन नंबरों के अलावा संघीय वाणिज्य, वित्त और कृषि मंत्रालयों के टेलिफोन नंबरों की निगरानी साबित करते हैं. ऑनलाइन रिपोर्ट में लिखा गया है, "इसके साथ चांसलर कार्यालय पर इस बात का दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह इस मामले में अब तक दिखाए जा रहे संयम को छोड़ें."

कारोबारी दैनिक हांडेल्सब्लाट का कहना है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए ने दशकों तक जर्मन चांसलर कार्यालय की उससे कहीं ज्यादा जासूसी की है जितना अब तक पता था. अंगेला मैर्केल के अलावा उनके पूर्वगामी चांसलरों गेरहार्ड श्रोएडर और हेल्मुट कोल की सरकारों की भी जासूसी की गई. जिन लोगों के टेलिफोन नंबरों पर नजर रखी गई उनमें चांसलर गैरहार्ड श्रोएडर के सुरक्षा सलाहकार मिषाएल श्टाइनर भी थे जो बाद में भारत में जर्मनी के राजदूत थे. अखबार लिखता है, "लिस्ट पर 56 टेलिफोन नंबर हैं जिनमें से करीब दो दर्जन अभी भी मैर्केल के करीबी सलाहकारों के मौजूदा नंबर हैं."

सर्वाधिक बिकने वाले दैनिक बिल्ड का कहना है कि टेलिफोन नंबरों की सूची में चांसलर अंगेला मैर्केल की ब्यूरो चीफ, चांसलर कार्यालय के मंत्री पेटर अल्टमायर और खुफिया सेवाओं के संयोजक क्लाउल डीटर फ्रिचे के भी टेलिफोन नंबर हैं.

मैनेजर मैगजीन का कहना है कि विकिलीक्स ने टेलिफोन नंबरों के अलावा इस बात के भी सबूत दिए हैं कि अमेरिकियों ने सचमुच बातें सुनीं. विकिलीक्स की वेबसाइट पर नंबरों की सूची के अलावा 2009 से 2011 के बीच मैर्केल की बातचीत का प्रोटोकॉल भी शामिल किया है. पत्रिका के अनुसार, "इन रिपोर्टों से साफ पता चलता है कि अमेरिका के पास आश्चर्यजनक रूप से चांसलर के संवादों की अंदरूनी जानकारी थी."

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने जासूसी के मामले में जर्मनी मीडिया को भी नहीं बख्शा है. पिछले हफ्ते प्रमुख राष्ट्रीय साप्ताहिक डेय श्पीगेल ने कहा था कि उसकी भी जासूसी की गई.

एमजे/आरआर