सऊदी अरब में इंडोनेशियाई नागरिक का सिर कलम
१९ मार्च २०१८इंडोनेशियाई कामगार जैनी मिसरिन को रविवार को मौत की सजा दे दी गई. विदेशों में इंडोनेशियाई आप्रवासी कामगारों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था माइग्रेंट केयर ने यह दावा किया है. मिसरिन को 17 नवंबर 2008 को मौत की सजा सुनाई गई थी. इंडोनेशियाई अखबार जकार्ता पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक 53 साल का जैनी मिसरिन 13 जुलाई 2004 से सऊदी अरब में कैद था.
मिसरिन को अपने मालिक की हत्या के आरोप में जुलाई 2004 में गिरफ्तार किया गया. उसे हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा दी गई थी. माइग्रेंट केयर को शक है कि मिसरिन से जोर जबरदस्ती कर अपराध कबूल करवाया गया. सऊदी अरब पर सुनवाई के दौरान इंडोनेशियाई नागरिक को किसी तरह की कानूनी सहायता न देने के भी आरोप हैं. मिसरिन को भी कोई वकील नहीं मिला था. हत्या के आरोपों से इनकार करने वाले मिसरिन को सिर्फ एक अनुवादक मुहैया कराया गया था.
मिसरिन की मौत के बाद माइग्रेट केयर ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "सऊदी अरब ने जेद्दाह में इंडोनेशिया के कंसुलेट जनरल या विदेश मंत्रालय को भी सूचित नहीं किया." इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने भी मिसरिन को सजा दिए जाने की पुष्टि की है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक मिसरिन का सिर कलम करने की जानकारी सऊदी अरब ने नहीं दी.
दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको जोकोवी विडोडो ने सऊदी अरब से तीन बार मिसरिन की सजा माफ करने की अपील की थी. सितंबर 2015, मार्च 2017 और नवंबर 2017 में की गई इन अपीलों का कितना असर हुआ, इसका पता रविवार को चल गया.
सऊदी अरब समेत खाड़ी के देशों पर अक्सर बर्बर तरीके से सजा देने के आरोप लगते हैं. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक गिरफ्तार किए जाने के बाद वहां आरोपी को अपने बचाव का मौका तक नहीं मिल पाता. आरोपी अगर विदेशी नागरिक हो, तो मुश्किलें और बढ़ जाती है. सऊदी अरब में बलात्कार की शिकायत करने वाली अविवाहित महिला को भी सजा भुगतनी पड़ती है, उसे शादी के बाहर गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दोषी करार दिया जाता है.