संस्कारी जेम्स बॉन्ड किस नहीं करता
१९ नवम्बर २०१५भारतीय सेंसर बोर्ड का कहना है कि फिल्म में दो लंबे चुंबन दृश्य ऐसे हैं जो भारतीय दर्शकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं. जाहिर है 'कामसूत्र' के देश भारत में ऐसा फैसला सोशल मीडिया पर खुली चर्चा से कैसे दूर रहता. किसी ने लिखा कि भारत में "संस्कारी" जेम्स बॉन्ड सूट बूट नहीं धोती कुर्ता पहनता है और रथ पर चलता है. तो किसी ने लिखा कि सिगार की जगह जेम्स बॉन्ड अब अगरबत्ती लेकर चलेगा. सोशल मीडिया पर लोगों ने सेंसर बोर्ड के इस फैसले की जमकर खिंचाई की.
भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने बताया कि बॉन्ड का किरदार निभाने वाले डेनिएल क्रेग और उनकी सह कलाकारों के साथ उनके अंतरंग दृश्यों को काट कर छोटा कर दिया गया है. निहलानी ने कहा, "हमारा काम है फिल्म की रेटिंग के आधार पर उसे सेंसर करना जो कि हमने किया है." निहलानी ने कहा कि फिल्म को यूए रेटिंग दी गई थी, जिसका मतलब है कि फिल्म देखने के लिए 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए उनके मां बाप की निगरानी जरूरी है. निहलानी ने कहा कि फिल्म प्रमोटरों को यह अधिकार है कि वे एडिटिंग पर आपत्ति जता सकते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
सेंसर बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने बॉन्ड फिल्म से अंतरंग दृश्यों के काटे जाने पर ट्विटर पर खेद व्यक्त किया. इससे पहले भी वे निहलानी से नाखुश होने का इजहार कर चुके हैं.
उन्होंने लिखा, "स्पेक्टर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई फिल्म है और पहलाज निहलानी ने इसे अपनी विचारशैली से ढक कर बर्बाद कर दिया." अशोक पंडित ने अपने ट्वीट्स में निहलानी पर यह भी आरोप लगाया कि वह फिल्म देखना, उसका भविष्य तय करना, अपील सुनना और फैसला लेना सब अपने मन से करते हैं.
भारतीय सेंसर बोर्ड इससे पहले भी फिल्मों से अंतरंग दृश्यों या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की संभावना वाले दृश्यों को काटने के लिए जाना जाता रहा है. कई फिल्मकार इस बात से नाखुश भी रहे हैं. इससे पहले भारतीय सेंसर बोर्ड ने भारत में फिल्म 'फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे' के रिलीज पर भी पाबंदी लगा दी थी.
एसएफ/आरआर (एएफपी)