संसदीय चुनाव के लिए ऑस्ट्रेलिया में मतदान शुरू
२१ अगस्त २०१०उम्मीद की जा रही है कि जीत का अंतर बहुत कम वोटों का होगा क्योंकि दोनों प्रतिद्वंद्वियों में कांटे की टक्कर है. एग्जिट पोल्स संकेत दे रहे हैं कि पासा पलट सकता है और टोनी एबॉट के नेतृत्व वाली रुढ़ीवादी पार्टी को चुनावों में बढ़त मिल सकती है. चुनाव के पहले हुए ताज़ा सर्वे बताते हैं कि दोनों के बीच बहुत कड़ी टक्कर है. इस बार चुनाव प्रचार के दौरान देश के आंतरिक मामले छाए रहे.
दोनों पार्टियों की विदेश नीति पर राय लगभग एक जैसी ही है. एक करोड़ 40 लाख वोटरों में से दस फीसदी ने अपना मत नीतियों के आधार पर नहीं बल्कि व्यक्तित्व के आधार पर देने का फैसला किया है.
दो महीने पहले केविन रड की कुर्सी छीनने के बाद 48 साल की जूलिया गिलार्ड ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री बनी हैं. देश की अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर रखने के कारण उनकी पार्टी को मजबूती मिली है लेकिन केविन रड को इस तरह के हटाने के कारण उनकी आलोचना भी हो रही है.
गिलार्ड ने मतदान शुरू होने के पहले कहा, "हम ओपिनियन पोल्स के बारे जानते हैं कि एबॉट रविवार को प्रधानमंत्री बन सकते हैं." अबॉट का व्यक्तित्व तो आकर्षक है लेकिन पादरी की ट्रेनिंग में खरे नहीं उतर पाए. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अनुशासित और परिष्कृत प्रचार कर के सबको चौंका दिया. उनका मंत्र है बजट को घाटे से बाहर लाना, इंडोनेशिया से आने वाले मध्यपूर्व के शरणार्थी के लिए आवेदन करने वालों को रोकना.
एबॉट जॉन हॉवर्ड की सरकार में मंत्री रहे हैं. 52 साल के एबॉट फिटनेस के दीवाने हैं और खुद को आधुनिकरण करने वाले की छवि में पेश करते हैं. 150 सीटों वाली संसद में एबॉट को 17 सीटें लेबर से हथियानी होंगी तभी वे ज़रूरी 76 सीटें पा सकेंगे. "मैं कहना चाहता हूं कि हम अच्छा काम करेंगे. कर्ज चुकाएंगे, नए टैक्स भी रोकेंगे."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़