शीतयुद्ध की विरासत
बंकर, टैंक, जासूसी स्टेशन. जर्मन फोटोग्राफर मार्टिन रोएमर्स ने दस साल तक शीत युद्ध के अवशेषों की तस्वीर ली है. ये तस्वीरें बर्लिन में एक प्रदर्शनी में दिखाई गई थी.
डूबने से पहले
एक खंडहर बादलों में तैरता दिख रहा है. दरअसल शीतयुद्ध के समय का यह बंकर पूर्वी सागर में डुबोया जा रहा है. यह तस्वीर बंकर को पानी में दफनाने से ठीक पहले ली गई है. शीतयुद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के कुछ समय बाद से 1989 में बर्लिन दीवार के गिरने तक चला. यह खूनी विवाद में तो नहीं बदला, लेकिन लोगों के सामने तलवार की तरह लटकता रहा.
तैयारी
दोनों ही पक्ष दूसरे के संभावित आकस्मिक हमले से बचने की कोशिश में बंकर बना रहे थे, रॉकेट तैनात कर रहे थे और मॉनिटरिंग स्टेशन बना रहे थे. उस समय की सोच थी शस्त्र होड़. पश्चिम जर्मनी, जीडीआर, रूस और पश्चिम यूरोप में हर कहीं लोग गंभीर स्थिति के आने के लिए तैयार हो रहे थे. तस्वीर में पश्चिम जर्मनी के लॉर्श में जर्मन सेना का परमाणु सुरक्षा बंकर.
सोवियत ट्रेनिंग
मार्टिन रोएमर्स ने 1998 से 2009 के बीच शीतयुद्ध के अवशेषों की तस्वीर लेने के लिए दस देशों का दौरा किया. इस दौरान ली गई तस्वीरों से 73 तस्वीरों की एक ऋंखला बनी है. इनमें सोवियत सेना के एक अड्डे पर अभ्यास के दौरान चलाई गई गोलियों के बचे हुए कचरे की तस्वीर भी है. यह तस्वीर संघर्षों में उलझी हमारी दुनिया में अभी भी सामयिक लगती है.
नया शीत युद्ध
हाल में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में रूस के प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेदेव ने नए शीत युद्ध की बात की. फोटोग्राफर रोएमर्स इस आकलन से इत्तेफाक नहीं रखते लेकिन इन तस्वीरों के जरिए वे एक तरह की चेतावनी तो दे ही रहे हैं. उनका कहना है कि वे राजनीतिक एक्टिविस्ट नहीं हैं लेकिन अपनी तस्वीरों से दिखा रहे हैं कि युद्ध इंसान और माहौल पर क्या असर डालते हैं.
राजा से सेना तक
सैक्सनी के अल्टेनग्राबोव में मार्टिन रोएमर्स ने सोवियत सेना के ट्रेनिंग ग्राउंड की तस्वीर ली. टूटा टैंक उन दिनों की गवाही दे रहा है. उन्हें ये बात काफी दिलचस्प लगी कि यहां कभी जर्मन सम्राट के सैनिक अभ्यास किया करते थे, तो बाद में नाजियों की सेना वेयरमाख्त के. आज ये जगह उतनी सुनसान नहीं जितनी तस्वीर में दिखती है. यहां जर्मन सेना बुंडेसवेयर के सैनिक अभ्यास करते हैं.
अंत में रोशनी
रोएमर्स की तस्वीरें सही मायने में ऐतिहासिक नहीं हैं. उन्होंने जब इन जगहों का दौरा किया तो शीतयुद्ध खत्म हो चुका था और दोनों ओर के सैनिकों को वापस कर लिया गया था. रोएमर्स की दिलचस्पी ढहती इमारतों और उस क्षण में थी जब प्रकृति उस पर कब्जा कर रही थी. यह तस्वीर ब्रिटेन के परमाणु बंकर से बाहर निकलने के रास्ते की है.