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शिक्षा मंत्री की पीएचडी में चोरी

१५ अक्टूबर २०१२

जर्मनी की शिक्षा मंत्री अनेटे शावान पर साहित्यिक चोरी के आरोप हैं. यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो सीडीयू पार्टी की शावान को डॉक्टर की उपाधि और अपना पद दोनों त्यागने पड़ सकते है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

शावान पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पीएचडी के थीसिस के कुछ अंश कहीं से चुरा कर लिखे. जर्मनी के मशहूर अखबार सूडडॉयचे त्साइटुंग और श्पीगल पत्रिका ने डूसेलडॉर्फ यूनिवर्सिटी के हवाले से लिखा है कि थीसिस में ऐसे कुछ अंश हैं जिन्हें देख कर साहित्यिक चोरी का अंदेशा होता है. रविवार को अखबारों में इन रिपोर्टों के आने के बाद सोमवार को शावान ने राईनिषेपोस्ट अखबार को एक इंटरव्यू में कहा, "मैंने कभी भी अपने शोध में चोरी करने की कोशिश नहीं की." अपनी सफाई में शावान ने केवल इतना कहा, "जैसे ही जांच कमेटी मुझे मौका देगी मैं इन अटकलों पर अपना मत रखूंगी."

शावान ने इस बात की आलोचना की है कि यूनिवर्सिटी ने उनसे बात किए बिना ही यह खबर मीडिया तक पहुंचा दी, "यह एक अजीब ही प्रक्रिया है कि अगर यूनिवर्सटी के प्रोफेसर की किसी बारे में कुछ राय बने तो इस से पहले की उस व्यक्ति को उस बारे में कोई भी जानकारी मिल सके, वे उसे मीडिया के साथ साझा कर लेते हैं."

Bundesministerin für Bildung Annette Schavan DW Reporter Anwar Ashraf Nobelpreisträgertreffen in Lindau
तस्वीर: DW/A.Ashraf

गुटेनबेर्ग से सीख

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा कि किसी जर्मन मंत्री पर इस तरह के आरोप लगे हों. पिछले साल ही जर्मनी के रक्षा मंत्री कार्ल थियोडोर त्सू गुटेनबेर्ग को डॉक्टर का टाइटल और रक्षा मंत्री का पद दोनों ही छोड़ने पड़े थे.

Karl-Theodor zu Guttenberg
पू्र्व रक्षा मंत्री कार्ल थियोडोर त्सू गुटेनबेर्गतस्वीर: AP

हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा है कि दोनों मामलों में फर्क है. गुटेनबेर्ग ने जान बूझ कर चोरी की जब कि माना जा रहा है कि शावान की ऐसी कोई मंशा नहीं थी. उन्होंने ठीक से कोट नहीं किया कि वह कौन से लेख की बात कर रही हैं.

जर्मनी की राजनीति में कई पदों के लिए पीएचडी का होना जरूरी समझा जाता है. जैसा कि गुटेनबेर्ग के मामले में देखा गया, वह भले ही एक सफल नेता थे, लेकिन आरोप साबित हो जाने के बाद उनका राजनीतिक करियर पूरी तरह खत्म हो गया. अब शावान के करियर पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं.

विपक्ष का वार

विपक्ष अभी से उनके इस्तीफे के इंतजार में नजर आ रहा है. एसपीडी पार्टी के एर्न्स्ट डीटर रॉसमान का कहना है कि अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो शावान को हर हाल में शिक्षा मंत्री का पद छोड़ना ही होगा, "उनके लिए मुश्किल होने वाली है, क्योंकि यह आरोप किसी बेनाम व्यक्ति ने नहीं बल्कि विश्वविद्यालय ने लगाया है." ग्रीन पार्टी की रेनाटे कूनास्ट ने तो यहां तक कह दिया है कि आरोप तय हों, ना हों शावान की छवि पर तो दाग लग ही गया हैं, "अपने पद पर बने रहने के लिए उन्हें जिस विश्वास की जरूरत है उसे तो वह खो ही चुकी हैं. यह शर्म की बात है कि शावान इसे और खींचना चाहती हैं."

शावान ने 1980 में अपनी पीएचडी थीसिस लिखी थी. यूनिवर्सिटी कई महीनों से इस पर काम कर रही है. रिपोर्टों के अनुसार 351 में से 60 पेजों में गड़बड़ पाई गई है.

आईबी/एएम (डीपीए, एएफपी)

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