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शरणार्थियों के मुद्दे पर ईयू की आलोचना

१३ अगस्त २०१५

यूरोप में शरणार्थियों का ड्रामा अब वित्तीय संकट झेल रहे ग्रीस में केंद्रित होता जा रहा है. मशहूर रिजॉर्ट कॉस में शरणार्थियों पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त पुलिस भेजी गयी है. द्वीप के मेयर ने रक्तपात की चेतावनी दी है.

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तस्वीर: Reuters/A. Konstantinidis

ग्रीस सीरिया युद्ध से भाग रहे लोगों के लिए यूरोप आने का मुख्य रास्ता बन गया है. 33,000 निवासियों वाला द्वीप 7000 शरणार्थियों के आने के बाद स्थिति से निबटने की हालत में नहीं है. दंगे जैसी हालत को रोकने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी है.

केंद्र सरकार ने 2500 शरणार्थियों को ठहराने के लिए एक जहाज किराए पर लिया है और गुरुवार को 1300 शरणार्थियों को एथेंस लाया गया है. शरणार्थियों का कहना है कि वे पश्चिम यूरोप जाना चाहते हैं. एक ओर ग्रीस के लिए नए कर्ज पर हो रही बहस और दूसरी ओर ग्रीस में शरणार्थियों की हालत को लेकर काफी आलोचना हो रही है. डेनमार्क के उदारवादी दैनिक पोलिटिकेन ने लिखा है, "बहुत से लोग यूरोप की ओर भाग रहे हैं. सुरक्षा और मदद पाने का उनका वैध हक है और यूरोपीय संघ की उन्हें सही तरीके से रजिस्टर करने की सामूहिक जिम्मेदारी है. लेकिन यूरोपीय संघ इसका ठीक उलटा कर रहा है और उसने ग्रीस को शरणार्थियों की बाढ़ का सामना करने के लिए छोड़ दिया है."

राहत संगठन डॉक्टर विदाउट बोर्डर्स ने शरणार्थियों के लिए बेहतर परिस्थितियों की मांग की है और कहा है कि जर्मनी और यूरोपीय संघ को रजिस्ट्रेशन की स्वीकार्य शर्तें तैयार करने में बेसहारा नहीं छोड़ना चाहिए. बेल्जियम के अखबार 'डे स्टांडार्ड' ने यूरोपीय संघ की आलोचना करते हुए कहा है, “ग्रीस के पास कोई काम करने लायक दफ्तर नहीं हैं. दूसरे यूरोपीय देश फिलहाल हाथ पर हाथ धरे हैं. ऐसा लगता है कि यूरोप ने कॉस या कैले जैसी जगहों पर जरूरी मानवीय तकलीफ को कम करने का काम गैर सरकारी संगठनों और वोलंटीयर्स पर छोड़ दिया है. यह दहलाने वाला है.”

ट्रेवल एजेंसी टुई का कहना है कि ग्रीस के द्वीपों पर शरणार्थियों के आने का असर कम से कम बुकिंग पर नहीं पड़ रहा है. टुई प्रमुख फ्रित्स यूसेन का कहना है कि फिलहाल बुकिंग और द्वीपों पर सुरक्षा प्रभावित नहीं है. खास तौर पर कॉस प्रभावित है जहां कुछ किलोमीटर दूर स्थित तुर्की से सैकड़ों शरणार्थी आ रहे हैं. लेकिन पर्यटक अलग अनुभव कर रहे हैं. कॉस के होटल पर्यटकों के ईमेल का भी जवाब नहीं दे रहे हैं. कम से कम एक ट्विटर यूजर का यही अनुभव रहा है.