शकीरा, एक सुरीली थिरकन
४ अक्टूबर २००९बारान्क्विया में गी महान उपन्यासकार ग्राबिएल गार्सिया मार्केज़ का जन्म हुआ था. यह अनायास नहीं कि मार्केज़ के लेखन के जादुई यथार्थ का करामाती अंदाज़ शकीरा के गीतों और भाषा और नृत्य देह में बिजली की तरह कौंधता रहता है. वह एक मदभरी लय है. तड़पती हुई पुकार, पत्थरों से टकराती एक पहाड़ी नदी की पछाड़. वह लातिन रोमानों की अथाह गोलाइयों में तेज़ी से घूमती हुई एक धुरी है. वह यक़ीनन शकीरा हैं. दो फ़रवरी 1977 को उनका जन्म हुआ था. आठ साल की थी जब पहला गीत लिखा और 13 साल की थी जब पहला अल्बम रिलीज़ हुआ.
शकीरा में नृत्य और कविता की जन्मजात प्रतिभा थी. स्पैनिश संगीत जगत में तो शकीरा का सिक्का चलता ही है, अंग्रेज़ी पॉप की दुनिया में भी उसने अपना लोहा मनवाया. पहले अंग्रेज़ी सीखी फिर गाना और देखते ही देखते पॉप के संसार को एक नए जादू का अहसास करा दिया. शकीरा लेबनानी पिता और कोलम्बियाई मां की संतान हैं. अपनी कला और नाच में शकीरा ने अरबी और लातिन ख़ूबियां डाल दीं.
एथेन्स के ओलंपिक में शकीरा का कार्यक्रम भला कौन भूल सकता है. करियर के तूफ़ानी दौर के बीच शकीरा सामाजिक भूमिका के लिए भी जानी जाती हैं. बच्चों के लिए उनकी एक संस्था हैं और वह लातिन अमेरिका के दमनकारी और शोषण से भरे अतीत को सबक़ की तरह याद करती हुई लोकतांत्रिक मूल्यों की पैरवी करती रहती है. शकीरा के काम और कला से प्रभावित होने वालों की कमी नहीं है. और उनके ऐसे ही एक मुरीद हैं ग्राबिएल गार्सिया मार्केज़. एक ही शहर की दो शख़्सियतें. अलग अलग कालखंड में जन्मीं बेशक लेकिन 21 वीं सदी में उम्र और रचना के अलग अलग कोनों से दुनिया को अचंभित करती हुईं. मार्केज़ ने 2002 में 'द गार्जियन अख़बार' के लिए शकीरा पर एक लेख लिखा था. वह शकीरा को समझने का एक दस्तावेज़ सरीखा बन गया. और शकीरा के दीवानों की संख्या और बढ़ गई.
आइए इस लेख का ज़ाएका लेते हैं कि मार्केज़ शकीरा के अकल्पनीय रूप से व्यस्त कार्यक्रम के ब्यौरे के साथ किस तरह अपनी दीवानगी की शुरूआत करते हैं. हवाला एक पत्रकार का है जो कई दिनों से शकीरा से रेडियो के लिए महज़ एक सवाल पूछने के लिए भटक रहा था. एक महीना से ज़्यादा गुज़र जाने के बाद उसके हाथ कुछ न आया. खिन्न होकर उसने रिपोर्ट बनाई शीर्षक था कि शकीरा उस वक़्त क्या कर रही होती है जब उसे कोई ढूंढ नहीं पाता.
मार्केज़ शकीरा से इस सवाल का जवाब मांगते हैं और वह हंस कर कहती है, "मैं जी रही होती हूं." उसके कार्यक्रम कितनी बीहड़ताओं से भरे होते हैं, मार्केज़ हैरान थे. लिखते हैं कि एक फ़रवरी की शाम को शकीरा ब्युनस आयर्स पहुंची थी. अगले दिन वह दोपहर से लेकर आधी रात तक काम करती रही. उस दिन उसका जन्मदिन था, लेकिन उसे मनाने का उसके पास वक़्त नहीं था. बुधवार को वह मियामी लौटी, जहां उसने एक लंबी प्रचार फ़िल्म में हिस्सा लिया और कई घंटे अपने ताज़ा अल्बम के अंग्रेज़ी संस्करण के लिए रिकॉर्डिंग की. शुक्रवार की दोपहर दो बजे से शनिवार की सुबह तक उसने दो गानों की रिकॉर्डिंग पूरी की. उसके बाद वह तीन घंटे सोकर दोबारा स्टूडियो पहुंची जहां उसने दोपहर तीन बजे तक काम किया. उस रात वह थोड़ा सोई और इतवार की सुबह सुबह लीमा जाने वाले विमान पर सवार हुई. सोमवार सुबह वह एक लाइव टीवी शो में मौजूद थी, चार बजे उनका एक टीवी विज्ञापन शूट हुआ, शाम को वह अपने प्रचार संयोजक की एक पार्टी में गई जहां वह सुबह तक जगी रही. अगले दिन यानी नौ फ़रवरी सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक उसने रेडियो, टीवी और अख़बार के लिए आधे आधे घंटे के ग्यारह इंटरव्यू दिए. बीच में एक घंटा लंच के लिए निकाला. उसे मियामी लौटना था लेकिन आख़िरी वक़्त में उसने बोगोटा में ठहरना तय किया, जहां वह भूकम्प के शिकार लोगों तक सहानुभूति जताने पहुंची.
उसी रात वह किसी तरह मियामी जाने वाली आख़िरी फ़्लाइट पकड़ पाने में कामयाब हुई जहां अगले चार दिनों तक वह स्पेन और फ़्रांस में होने वाले अपनी कन्सर्ट्स की रिहर्सल में व्यस्त रही. अपने अल्बमों के अंग्रे़ज़ी संस्करणों के लिए उसने शनिवार दिन के खाने के वक़्त से लेकर सुबह साढ़े चार बजे तक ग्लोरिया एस्टेफ़ान के साथ काम किया. दिन खुलने पर अपने घर पहुंचीं, जहां उसने एक कॉफ़ी पी, डबलरोटी का टुकड़ा खाया और पूरे कपड़ों में सो गई. मंगलवार सोलह तारीख़ को वह कोस्टारिका में एक लाइव टीवी शो में मौजूद थी. बृहस्पतिवार को वह वापस मियामी पहुंची जहां उसे 'सेन्सेशनल सैटरडे ' नाम के एक टीवी कार्यक्रम में हिस्सा लेना था.
वह मुश्किल से सो पाई. 21 को उसे वेनेज़ुएला से लॉस एंजेलिस पहुंचकर ग्रैमी समारोह में शामिल होना था. उसे विजेताओं की सूची में होने की उम्मीद थी लेकिन अमेरिकियों ने तमाम प्रमुख अवार्ड जीत लिए. लेकिन इस से उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आई: 25 को वह स्पेन में थी जहां उसने 27 और 28 फ़रवरी को काम किया. एक मार्च तक आख़िरकार वह मैड्रिड के एक होटल में पूरी रात सो पाने का समय निकाल सकी. उस समय तक वह एक महीने में एक पेशेवर फ़्लाइट अटैंडेन्ट के बराबर यानी चालीस हज़ार किलोमीटर की यात्राएं कर चुकी थी.
तो यह है शकीरा के जादू से प्रभावित मार्केज़ का अपना जादू उस पर निछावर करने का तरीक़ा. शकीरा बताती हैं कि उन्हें अपनी अपार रचनात्मकता के बारे में हमेशा मालूम था. वह प्रेम कविताएं पढ़ती थीं, कहानियां लिखती थीं और गणित को छोड़कर सारे विषयों में सबसे अच्छे नम्बर लाती थीं. उन्हें बहुत खीझ होती थी जब घर पर आए मेहमान उनसे गाने की फ़रमाइश किया करते थे. उनका कहना था, "मैं तीस हज़ार लोगों के सामने गाना पसन्द करती बजाय पांच गधों के आगे गाने और गिटार बजाने के." आज उनके सपने पूरे होने से कहीं ज़्यादा पूरे हो चुके हैं. मार्केज़ कहते हैं कि शकीरा का संगीत किसी और के जैसा नहीं सुनाई पड़ता और उन्होंने मासूम ऐंद्रिकता को अपना ब्रैन्ड भी बना लिया है. "अगर मैं गाऊंगी नहीं तो मर जाऊंगी!" भीड़ के बीच रहने में ही उनके भीतर शांति आती है. स्टेज का डर उन्हें कभी महसूस नहीं हुआ. उन्हें स्टेज पर न होने से डर लगता है. शकीरा का कहना है कि स्टेज पर वह जंगल में किसी शेर जैसी हो जाती है.
कई गायक स्टेज से परे तेज़ रोशनियों पर निगाहें गड़ा लेते हैं ताकि भीड़ की निगाहों का सामना न करना पड़े. माइकल जैक्सन कहते थे कि उन्हें भीड़ विचलित कर देती है. उन्हें भीड़ से डर लगता था. इसलिए वह स्टेज पर तमाम रोशनियां अपने ऊपर लेते थे. शकीरा इसका ठीक उल्टा करती हैं. वह अपने तकनीशियनों से कहती है कि फ़ैंस दर्शकों पर सबसे तेज़ रोशनियां डालें ताकि वह उन्हें देख सकें. तभी संवाद पूरा होता है. वह कहती हैं कि गाते हुए उन्हें लोगों की आंखों में देखना अच्छा लगता है. कभी कभी वह भीड़ में ऐसे चेहरे देखती है जिन्हें उसने कभी नहीं देखा होता लेकिन वो उन्हें पुराने दोस्तों की तरह याद करती है. एक बार तो उसने एक ऐसे आदमी को पहचान लिया जो कब का मर चुका था. एक बार उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसे किसी दूसरे जन्म के भीतर से देख रहा हो. शकीरा ने कहा कि वो पूरी रात उसी के लिए गाती रही.
शकीरा ने कितना पैसा कमाया है, इस बारे में उनका कहना है कि, "जितना मैं बताती हूं उस से ज़्यादा, मगर जितना लोग सोचते हैं उस से कम." संगीत सुनने की उनकी प्यारी जगह है गाड़ी के भीतर पूरे वॉल्यूम में बजता प्लेयर. वह शीशे चढ़ा लेती हैं कि दूसरों को दिक़्क़त न हो. मार्केज़ के मुताबिक शकीरा को टीवी से नफ़रत है. उनके हिसाब से उसका सबसे बड़ा विरोधाभास है जीवन की अनंतता पर उसका यक़ीन और मौत की बेतरह दहशत.
वह एक दिन में चालीस इन्टरव्यू तक दे चुकी हैं और उन्होंने किसी भी बात को दोहराया नहीं. वह इस बात को ख़ारिज कर देती हैं कि उनकी प्रसिद्धि अस्थाई है और यह कि ज़्यादा गाने से उनकी आवाज़ पर असर पड़ेगा. शकीरा का कहना है कि भरी धूप के बीच वह सूरज के डूबने के बारे में नहीं सोचेंगी.
और प्यार. इस बारे में शकीरा क्या सोचती हैं. इस पर वह कन्नी काट जाती हैं. सबसे ज़्यादा. यूं वह उसकी अहमियत जानती है. लेकिन बातचीत में वह प्यार की बातों को मज़ाक में परे कर देती है. मार्केज़ के मुताबिक सब जानते हैं कि उनके चार बॉयफ़्रैन्ड्स रह चुके हैं, हालांकि वह शरारत के साथ बताती हैं कि तीन और थे जिनके बारे में किसी को मालूम नहीं. वे सब उन्हीं की उम्र के थे लेकिन उनमें से कोई भी उन जैसा परिपक्व नहीं निकला.
शकीरा इसी साल एक धमाकेदार अल्बम में प्रकट हुई हैं जिसका नाम है शी वुल्फ नाम. अपने गाने की बिंदास ऊबड़ खाबड़ ज़मीन और अपने नाच की विलक्षण मादकता में जो ऐंद्रिक अनुभव शकीरा के ज़रिए संभव होता है वह उसे अपने चाहने वालों की नज़र में सबसे ख़ास बनाता है. यही शकीरा की शान है.
-शिव प्रसाद जोशी (संपादनः ए कुमार)