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समाज

वीडियो गेम की लत एक बीमारी है

१९ जून २०१८

कई बार किसी इंसान का लगातार वीडियो गेम खेलना उसके आस-पास के लोगों को परेशान कर देता है. वहीं लोग भी उस शख्स की आदत बताकर बात को जाने देते हैं. लेकिन हो सकता है कि वीडियो गेम में लगा वह व्यक्ति किसी बीमारी से जूझ रहा हो.

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Kind spielt Videospiel
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/AGF-Foto

"गेमिंग डिसॉर्डर" मानते हुए संस्था ने इसे पहचानने और इलाज योग्य बीमारियों की "इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन डिसीज" (आईसीडी) सूची में शामिल किया है.

अंतरराष्ट्रीय सूची में इस अपडेट का मतलब है कि इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए अब इलाज और वित्त दोनों ही अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध होने चाहिए. साथ ही इसका मकसद तमाम देशों को इस मुद्दे की पहचान करने के लिए ज्यादा बेहतर ढंग से तैयार होने के लिए कहना भी है. आईसीडी सूची का इस्तेमाल बीमा कंपनियां भी करती है, और इसी के आधार पर वह बीमारियों के इलाज पर किए जाने वाले भुगतान को तय करती हैं.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, उपचार उन लोगों को मदद करेगा जिन लोगों ने अपनी गेमिंग की आदतों पर नियंत्रण खो दिया है. ऐसे लोग जो अपने आसपास की चीजों को नजरअंदाज करने लगे हैं. इसके चलते वे आभासी दुनिया में फंसे हैं और असल दुनिया की अपनी समस्याओं को पहचान नहीं पा रहे हैं.चीनी छात्रों को गेमिंग बूम का फायदा

विवाद बरकरार

डब्ल्यूएचओ के इस फैसले की आलोचना करने वाले भी कम नहीं. आलोचक मानते हैं कि गेमिंग की ऐसी लत का उपचार अन्य बीमारियों की तरह नहीं है क्योंकि यह बड़ी बीमारियों मसलन अवसाद, ऑटिज्म या बाइपोलर डिसॉर्डर आदि के लक्षण हो सकते हैं. इनके मुताबिक आम लोग इस तरह की लत में अधिक नहीं फंसे हैं. वहीं इस फैसले को सही बताने वालों का तर्क है कि गेमिंग की लत की पहचान करने के लिए इस तरह का वर्गीकरण सही है. ऐसी लत टीनएजर्स, किशोरों में अधिक मिलती है जो अपनी मदद स्वयं नहीं कर पाते.

एए/ओएसजे (एपी, रॉयटर्स)