वीजा के लिए जर्मन भाषा जरूरी
१५ अगस्त २०१४जो व्यक्ति जर्मनी में रहने वाले अपने पार्टनर के साथ रहने आना चाहता है, उसके लिए पहले जर्मन भाषा सीखना और इसका सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है. जर्मनी के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है. लग्जेम्बर्ग में यूरोपीय अदालत ने कुछ हफ्ते पहले एक मामले में इसके जरूरी नहीं होने का फैसला सुनाया था. रीता कांतेमीर थोमै के लिए नाराजगी का बड़ा कारण. वह बर्लिन के क्रॉएत्सबर्ग इलाके में जर्मनी में रहने वालों के विदेशियों के पार्टनर को कानूनी तरीके से जर्मनी लाने में मदद करती हैं. वह जर्मन सरकार के फैसले पर कहती हैं, "वह तो चाहते ही हैं कि वे यहां नहीं आ सकें और इसके लिए वह किसी भी तरीके का इस्तेमाल करते हैं."
भाषा का प्रमाणपत्र जरूरी
जर्मन सरकार ने तय किया है कि जर्मनी आ कर रहने की अनुमति उन्हीं लोगों को मिल सकती है जिन्होंने अपने देश में जर्मन भाषा की प्रारंभिक परीक्षा देकर सर्टिफिकेट लिया है. और मुश्किल स्थिति में ये सर्टिफिकेट रद्द भी हो सकता है. रीता कांतेमीर थोमै मानती हैं, "मैं तो कहती हूं कि अपने जीवन साथी के साथ रहने का सबको अधिकार है."
2007 से जर्मनी आने के लिए भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य है. लेकिन जुलाई में तुर्की की एक निरक्षर महिला ने जर्मनी को चुनौती दी और उन्हें बिना किसी प्रमाण पत्र के आने की अनुमति मिल गई. लग्जेम्बर्ग की अदालत ने पाया कि जर्मनी वीजा के लिए भाषा का सर्टिफिकेट मांग कर यूरोपीय संघ के कानून का उल्लंघन कर रहा है.
भाषा समेकन के लिए अहम
भले ही यूरोपीय अदालत ने फैसला दे दिया हो लेकिन भाषा का सर्टिफिकेट होना आज भी जर्मनी में रहने आने के लिए अनिवार्य है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "बाद में आए पति या पत्नी अगर जीरो से शुरू नहीं करना चाहते हैं बल्कि आते ही अधिकतर चीजें समझना चाहते हैं, उनमें खुद की इच्छा जबरदस्त होती है और वह यहां आकर भी समाज में अच्छे से घुल मिल सकते हैं."
वहीं इस परीक्षा के विरोधियों की दलील है कि जर्मन कोई भी जर्मनी में ही आकर अच्छे से सीख सकता है. कई ग्रुपों ने मांग की है कि ये सर्टिफिकेट जर्मनी में ही करवाया जाए और यहां के इंटिग्रेशन कोर्स के साथ उसे मिला दिया जाए. इतना ही नहीं कई देशों में जर्मन सीखने की व्यवस्था सिर्फ बड़े शहरों में है और दूर दराज के इलाकों में रहने वाले लोग शहरों में जाकर ये कोर्स नहीं कर सकते हैं.
रिपोर्टः रिचर्ड फुक्स/एएम
संपादनः महेश झा