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विवादित भूमि पर दावा छोड़ें मुसलमान: गडकरी

१९ फ़रवरी २०१०

मंदिर मस्जिद मुद्दे को फिर हवा देते हुए बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मुस्लिम समुदाय से अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर दावा छोड़ देने की अपील की है. नए अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा, उदार रुख़ अपनाएं मुसलमान.

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नितिन गडकरीतस्वीर: AP

इंदौर में दो दिवसीय भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया कि पार्टी ने दो दशक पुराने मुद्दे से मुंह नहीं मोड़ा है. "भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है." गडकरी ने कहा है कि अगर मुस्लिम विवादित भूमि पर दावा छोड़ देते हैं तो मंदिर के पास ही मस्जिद भी बनवाई जाएगी.

Zerstörung einer Moschee löst Religionskrieg in Indien aus
तस्वीर: dpa - Bildarchiv

"मैं मु्स्लिम समुदाय से अपील करता हूं कि हिंदुओं की भावनाओं के प्रति वे उदार रुख़ अपनाएं और भव्य राम मंदिर बनाने के लिए सहयोग दें. अगर विवादित भूमि पर आप अपना दावा छोड़ते हैं तो हम मंदिर के पास ही एक शानदार मस्जिद बनाने में आपका सहयोग करेंगे."

माना जा रहा है कि इस मुद्दे को उठा कर गडकरी राम मंदिर के प्रति बीजेपी की प्रतिबद्धता का संदेश देना चाहते हैं साथ ही मस्जिद का वादा कर मुसलमानों को भी अपने साथ लाने की कोशिश है. अपने भाषण में गडकरी ने पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए दलित समुदाय को साथ लाने और एक ऐसी कार्य संस्कृति के अमल पर ज़ोर दिया जिसमें चाटुकारिता की जगह न हो.

नितिन गडकरी ने कथित अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए केंद्र सरकार पर जम कर हमला बोला. कांग्रेस नेता दिग्गविजय सिंह की आज़मगढ़ यात्रा पर निशाना साधते हुए गडकरी ने कहा कि कुछ कांग्रेसी नेता आतंकवादियों की शरणस्थली का इस्तेमाल राजनीतिक तीर्थयात्रा के रूप में कर रहे हैं. जिससे राष्ट्रविरोधी ताक़तें और मज़बूत हुई हैं. लेकिन गडकरी यह कहना नहीं भूले कि पार्टी मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है.

"अगर पार्टी मुसलमानों के ख़िलाफ़ होती तो वाजपेयी और आडवाणी एपीजे अब्दुल कलाम को देश का राष्ट्रपति नहीं बनाते." गडकरी के मुताबिक़ उनकी योजना पार्टी को मिले वोटों में 10 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा करना है.

उदघाटन सत्र में पूर्व पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर उनके कार्यकाल में कुछ ग़लत फ़ैसले लिए गए हों तो उसके लिए वह माफ़ी मांगते हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेताओं में अंदरूनी खींचतान चरम पर थी और पार्टी विघटन के कगार पर पहुंच गई थी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा मोंढे