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विवाद के घेरे में जर्मन रक्षा मंत्री

१९ मार्च २०१०

संसदीय जांच समिति में पूर्व सेनाध्यक्ष श्नाइडरहान व पूर्व राज्य सचिव विशर्ट की गवाही के बाद रक्षा मंत्री गुटेनबैर्ग की जान सांसत में है. क्या वे अपनी कुर्सी बचा पाएंगे?

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श्नाइडरहान व विशर्ट के साथ रक्षामंत्री गुटेनबैर्गतस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी में रक्षा मंत्री का पद बड़ा ख़तरनाक़ होता है, कई रक्षा मंत्रियों को इस्तीफ़ा देना पड़ा है. इनमें शामिल हैं पिछले श्रममंत्री फ़्रांत्ज़ योज़ेफ़ युंग, जिन्हें रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी भूमिका के लिए इस्तीफ़ा देना पड़ा. वजह थी अफ़ग़ानिस्तान के कुंदुस में जर्मन कर्नल के आदेश पर किया गया हमला, जिसके चलते 142 असैनिक नागरिकों की मौत हुई थी, और मंत्री को इसका पता होने के बावजूद उन्होंने संसद को ग़लत सूचना दी थी. वर्तमान रक्षा मंत्री कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबैर्ग ने भी ऐसा ही कहा था. बाद में उन्होंने कहा कि उनसे सूचनाएं छिपाई गई थी, और इस आरोप में सेनाध्यक्ष वोल्फ़गांग श्नाइडरहान और मंत्रालय के राज्य सचिव पेटर विशर्ट को बर्खास्त कर दिया.

कुंदुस के हमले पर जर्मन संसद की जांच समिति नियुक्त की गई है, और इस बीच श्नाइडरहान और विशर्ट ने वहां बयान दिया है. उनका कहना है कि हालांकि मंत्री के सामने सभी दस्तावेज़ नहीं पेश किए गए थे, लेकिन उन्हें इसकी पर्याप्त सूचना मिल चुकी थी कि हमले में असैनिक नागरिकों की मौत हुई है. अब विपक्ष की ओर से मांग की गई है कि रक्षा मंत्री को साबित करना पड़ेगा कि उनके रुख में बदलाव पहले न मिले दस्तावेज़ों को देखने के बाद आया था. जांच समिति में एसपीडी के प्रतिनिधि राइनर आर्नोल्ड का कहना था-

दोनों गवाहों ने बेहद विश्वसनीयता के साथ स्पष्ट किया है कि उन्होंने मंत्री को सभी महत्वपूर्ण सूचनाएं दी थी. जिन दस्तावेज़ो के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें रोका गया था, उनमें ऐसी कोई बात नहीं है, जो आइसैफ़ की रिपोर्ट में नहीं थी, जिनके आधार पर एक अलग निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता था. ऐसा लग रहा है कि गुटेनबैर्ग ने ग़लत मूल्यांकन किया था और उसके बाद वे किसी दूसरे के सिर पर ग़लती मढ़ने की कोशिश करते रहे. - राइनर आर्नोल्ड

रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है 22 अप्रैल को रक्षामंत्री कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबैर्ग जांच समिति के सामने विस्तार से गवाही देंगे और उसके बाद शायद मामला सुलझ जाएगा.

शायद!

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: राम यादव