विलेन से हीरो बने जर्मनी के ओत्जिल
२४ जून २०१०घाना और जर्मनी के बीच मैच बेहद कड़ा हुआ. हाफ टाइम से पहले 21 साल के जर्मन स्ट्राइकर ओत्जिल को घाना के गोलपोस्ट के पास गेंद मिली. दूर दूर तक कोई खिलाड़ी नहीं था. उनके सामने गोलकीपर और पांव में गेंद थी. कोच समेत जर्मनी के सभी प्रशंसक यह मानने लगे थे कि अब गोल होना तय है, लेकिन ओत्जिल ने हल्का शॉट मारा और गेंद घाना के गोलकीपर ने लपक ली.
शानदार मौके चूकने से जर्मन कोच योएखिम लोएव खासे नाराज हुए. उन्होंने हाथ लहराते हुए गुस्से में काफी कुछ कहा. इसके बाद कभी घाना और कभी जर्मनी को गोल करने के कमजोर मौके मिलते रहे और आधा खेल खत्म हो गया. ब्रेक के दौरान जर्मनी के टेलीविजन चैनलों पर ओत्जिल की गलती की चर्चा होती रही. युवा खिलाड़ी को नाकाम बताए जाने पर चर्चाएं चलने लगी.
जर्मनी के सबसे सीनियर खिलाड़ी क्लोजा के बाहर होने की वजह से कोच को ओत्जिल का कोई विकल्प भी नहीं मिल रहा था. इन सबके बावजूद लोएव ने ओत्जिल पर भरोसा बरकरार रखा. मैच के बाद लोएव ने कहा, ''हाफ टाइम के ब्रेक में मैंने उससे कहा कि तुम अब भी गोल कर सकते हो.''
बहरहाल हाफ टाइम के बाद खेल शुरू हुआ और 15 मिनट ही बीते थे कि ओत्जिल ने गोल ठोक दिया. जर्मनी निर्णायक एक गोल से आगे हो गया. ओत्जिल के चेहरे पर रौनक लौटी. प्रशंसक और कोच सब ओत्जिल की तारीफ करने लगे. आधे घंटे के भीतर वह फिर से नायक बन गए.
मैच के बाद ओत्जिल ने कहा, ''मैं पहले हाफ में ही 1-0 कर सकता था. लेकिन मैं चूक गया, मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था. मैं बेहद निराश था लेकिन उसी दौरान मुझे लग रहा था कि मैं गोल ज़रूर ठोंकूंगा.''
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़