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विरोध कविता जैसा लगता है: रहमान

ईशा भाटिया२५ नवम्बर २०१५

इन दिनों बॉलीवुड की कई हस्तियां देश में बढ़ती असहिष्णुता के बारे में आवाज उठा रही हैं. संगीतकार एआर रहमान का कहना है कि विरोध का यह तरीका उन्हें कविता जैसा लगता है.

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Indien Musik Komponist A R Rahman
तस्वीर: AP

पणजी में आईफा अवॉर्ड के मौके पर मीडिया से बातचीत के दौरान रहमान ने यह बात कही. उन्होंने जोर दिया कि गांधी के देश में विरोध अहिंसा के साथ ही होना चाहिए. जब उनसे आमिर खान की टिप्पणी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे आमिर की बात से इत्तिफाक रखते हैं क्योंकि उनके साथ भी ऐसा हो चुका है. रहमान उस फतवे की बात कर रहे थे, जो मोहम्मद पर बनी ईरानी फिल्म में संगीत देने के कारण उनके खिलाफ जारी किया गया था. फतवा देने वालों को इस बात पर शिकायत थी कि रहमान ने मोहम्मद के जीवन को दर्शाती फिल्म में अपना योगदान क्यों दिया.

ऑस्कर और ग्रैमी जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले 48 वर्षीय रहमान ने कहा कि विरोध "क्लासी" अंदाज में किया जाना चाहिए, "मुझे लगता है कि लोग जो कर रहे हैं वह शायराना है, वे एक दूसरे को मार पीट नहीं रहे." महात्मा गांधी के आदर्शों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "हमें पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल कायम करनी होगी क्योंकि हम महात्मा गांधी के देश से नाता रखते हैं. उन्होंने दुनिया को दिखाया था कि कैसे अहिंसा के रास्ते पर चल कर क्रांति लाई जा सकती है."

रहमान के इस बयान पर कहीं उनका समर्थन हो रहा है, तो कहीं सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन पर फतवा उन्हीं के धार्मिक नेताओं ने लगाया, तो वे देश की राजनीति को बीच में क्यों ला रहे हैं. हालांकि इस तरह की बहस में, असली मुद्दा, जो कि असहिष्णुता का है (फिर चाहे वह किसी भी धर्म की ओर से हो) वह पीछे छूट सा गया है.

आमिर और रहमान से पहले कई अन्य बॉलीवुड हस्तियां भी इस मुद्दे पर बात कर चुकी हैं. वहीं अनुपम खेर समेत कुछ अन्य हस्तियां इसका कड़ा विरोध करती भी नजर आई हैं. इसके चलते माना जा रहा है कि मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री अब दो धड़ों में बंट चुकी है. कुछ दिनों पहले शाहरुख खान की टिप्पणी भी सुर्खियों में रही.