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विकलांगों की मजबूरी

९ सितम्बर २००९

हाथ पैर से मजबूर या व्हील चेयर में बैठे किसी शख्स को दुनिया बड़ी सहानुभूति से देखती है. उन्हें मजबूर और असहाय समझती है. कई जगहों पर तो विकलांगों को क़ुदरत की सज़ा के तौर पर देखा जाता है. कैसे ये रुढ़ियां ख़त्म की जाएं?

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