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समाज

वायू प्रदूषण से देश में 4.70 करोड़ बच्चे प्रभावित

२९ जनवरी २०१८

ग्रीनपीस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 4.70 करोड़ बच्चे ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां हवा में पीएम10 का स्तर मानक से अधिक है. इसमें अधिकतर बच्चे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली के हैं.

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Indien Neu Delhi Smog und Luftverschmutzung
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma

इस 4.70 करोड़ के आंकड़ें में, 1.70 करोड़ वे बच्चे हैं जो कि मानक से दोगुने पीएम10 स्तर वाले क्षेत्र में निवास करते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली राज्यों में लगभग 1.29 करोड़ बच्चे रह रहे हैं जो पांच साल से कम उम्र के हैं और प्रदूषित हवा की चपेट में हैं. हवा जहरीली और प्रदूषित होने का मतलब है वायु में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के स्तर में वृद्धि होना. हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम10 की मात्रा 100 होने की मात्रा पर इसे सुरक्षित माना जाता है. लेकिन इससे ज्यादा हो तो वह बेहद ही नुकसान दायक माना जाता है. 

ग्रीनपीस इंडिया ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 'एयरपोक्लिपस' में 280 शहरों का विश्लेषण किया है. इन शहरों में देश की करीब 53 फीसदी जनसंख्या रहती है. बाकी 47 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्र में रहती है जहां की वायु गुणवत्ता के आंकड़े उपलब्ध ही नहीं हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 63 करोड़ में से 55 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां पीएम10 का स्तर राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक है.

ग्रीनपीस के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, "भारत में कुल जनसंख्या के सिर्फ 16 प्रतिशत लोगों को वायु गुणवत्ता का रियल टाइम आंकड़ा उपलब्ध है. यह दिखाता है कि हम वायु प्रदूषण जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिये कितने असंवेदनशील हैं. यहां तक कि जिन 300 शहरों में वायु गुणवत्ता के आंकड़े मैन्यूअल रूप से एकत्र किए जाते हैं वहां भी आम जनता को वह आसानी से उपलब्ध नहीं है."

अगर औसत पीएम 10 स्तर के आधार पर रैंकिग को देखें तो पता चलता है कि साल 2016 में दिल्ली 290 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ शीर्ष पर बना हुआ है। वहीं फरीदाबाद, भिवाड़ी, पटना क्रमश: 272, 262 और 261 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ दिल्ली से थोड़ा ही पीछे हैं.

आश्चर्य की बात है कि देहरादून (उत्तराखंड) भी शीर्ष दस की सूची में है, जहां औसत पीएम10, 238 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा है. 2016 में सूची में शामिल 280 शहरों में शीर्ष 20 शहरों का औसत वार्षित पीएम10 स्तर 290 से 195 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा.

रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से एक भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानक (20 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर औसत) को पूरा नहीं करते. इतना ही नहीं 80 प्रतिशत भारतीय शहर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर औसत) को भी पूरा नहीं करते.

Indien Neu Delhi Smog
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर गंगा के मैदानी इलाके में हैं. हालांकि दक्षिण भारत के शहरों में भी एक तय समय सीमा के भीतर योजना बनाकर वायु गुणवत्ता को राष्ट्रीय मानक के अंदर लाने की जरूरत है.

आईएएनएस/एए