वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट को चुनौती देने की तैयारी
२३ फ़रवरी २०१८ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, भारत और जापान मिलकर क्षेत्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम पर चर्चा कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के अखबार ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू के मुताबिक सड़कों, बंदरगाहों और रेल नेटवर्क के जरिए चारों देश चीन के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट को चुनौती देना चाहते हैं.
एक अमेरिकी अधिकारी का हवाला देते हुए फाइनेंशियल रिव्यू ने लिखा है कि वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल भी इस पर चर्चा करेंगे. अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक योजना अभी इस स्तर तक नहीं पहुंची है कि उसका एलान किया जाए. अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक उनकी क्षेत्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम, चीनी प्रोजेक्ट की "प्रतिद्ंवद्वी" नहीं बल्कि "विकल्प" है. वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन 60 से ज्यादा देशों के आधारभूत ढांचे में बड़ा निवेश कर रहा है. चीन करीब पांच दर्जन देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, रेल, पोर्ट और रोड नेटवर्क को फाइनेंस कर रहा है.
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फाइनेंशियल रिव्यू से बात करते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "कोई यह नहीं कह रहा है कि चीन को इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं करना चाहिए. चीन अपने दम पर ऐसा बंदरगाह बना सकता है जो आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं होगा. रोड और रेल लाइन को पोर्ट से जोड़कर हम उसे आर्थिक रूप से सक्षम बना सकते हैं." अमेरिका को आशंका है कि चीन वन बेल्ट, वन रोड के जरिए अमेरिकी दबदबे को खत्म करना चाहता है.
1990 के दशक में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (QSD) शुरू किया. लेकिन 2008 में ऑस्ट्रेलिया इससे बाहर निकल गया. तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रड की चीन से करीबी के चलते यह फैसला किया गया. लेकिन दो साल बाद बराक ओबामा के आग्रह पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने QSD में वापसी की. नवंबर 2017 में मनीला में आसियान सम्मेलन के दौरान चारों देशों ने फिर से QSD के तहत तीन-तीन महीने में होने वाली बातचीत जारी रखने का फैसला किया.
"वन बेल्ट, वन रोड" पर भारत को अमेरिका का साथ
बीजिंग ने QSD की बहाली पर नाराजगी जताई है. चीन को लगता है कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया मिलकर उसकी आर्थिक तरक्की में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं.
21 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री चार दिन के दौरे पर अमेरिका गए हैं. साल भर के भीतर यह चौथा मौका है जब ऑस्ट्रेलियाई पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति से मिल रहे हैं.
टिमोथी जोंस/ओएसजे