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लकड़ी के चलते फिरते खिलौने

२३ फ़रवरी २०१८

प्लाई के छोटे छोटे टुकड़ों से ट्रेन इंजन बनाना. और बिना मोटर या बैटरी के उसे चलाना. यूक्रेन की एक कंपनी बेहद मंझे हुए इंजीनियरों की मदद से ऐसे खिलौने बनाती है.

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DW Sendung Euromaxx UGEAR
तस्वीर: DW

कंपनी के सारे मॉडलों में सैकड़ों छोटे छोटे पुर्जे लगे होते हैं. इनमें प्लास्टिक, चिपकाने वाले एड्हेसीव या बैटरियों का इस्तेमाल नहीं होता. गाड़ियों और डिब्बों को सिर्फ लकड़ी के टुकड़ों को जोड़कर बनाया जाता है. उनकी गति के लिए मेकेनिज्म जिम्मेदार है. जो रबर बैंड से चलता है. और कंपनी के गोदाम में सिर्फ गाड़ियां ही नहीं है. यूगियर्स कंपनी की स्थापना 2014 में यूक्रेन की राजधानी कीव में हुई थी. वह अपने यहां बने खिलौनों को पूरी दुनिया में बेचती है. प्लास्टिक के जमाने में लकड़ी के मॉडलों के साथ कामयाब होने के लिए अत्यधिक कुशलता की जरूरत होती है. खिलौने बेचने हैं तो उन्हें सुंदर और सटीक बनाने की भी जरूरत होती है. और इस लक्ष्य तक पहुंचने में दर्जनों परीक्षणों का हाथ और साथ भी होता है.

इस छोटी से दुनिया को गढ़ने वाले इंजीनियरों की ट्रेनिंग खास तौर पर होती है. कुछ नया करने वाली इस कंपनी को इंजीनियर खुद भी चुनते हैं. कंपनी के चीफ डिजाइनर मिरोस्लाव प्रिलिप्को कहते हैं, "हमेशा ही खुद कुछ सोचना और फिर उसे हकीकत में अमल में लाना दिलचस्प होता है." और बहुत से लोगों के लिए ये चुनौती भी होती है कि सिर्फ तय प्रक्रिया के हिसाब से रूटीन का काम नहीं करना है, बल्कि कुछ नया करना है.

इंजीनियर लगातार नए नए डिजाइन तैयार करते हैं और उनका परीक्षण करते हैं. यदि कोई ड्राफ्ट सही पाया जाता है, तो फिर लेजर की मदद से लकड़ी की प्लेटों पर उसके एक एक पुर्जों को काटा जाता है. ग्राहक इन्हें खरीद कर अपने घर पर इंस्ट्रक्शन के मुताबिक खिलौने बना सकता है. इस बीच कंपनी 30 प्रकार के मॉडल बेच रही है. उसमें नए लोगों से लेकर पेशेवर लोगों तक के लिए कुछ न कुछ मौजूद है. कभी कभी ग्राहक भी नए आइडिया लेकर आते हैं.

यूगियर्स के खिलौने भारत तक भी पहुंचते हैं. एमेजॉन के जरिए कंपनी के कई खिलौने भारतीय बाजार में भी है. यूगियर्स के संस्थापक हेनादी शेस्ताक डिमांड के हिसाब से मॉडलों में बदलाव भी करते हैं, "दक्षिण एशिया में हमारे पार्टनर हमें बैलेरीना के बदले मॉडल के बीच में कुछ शब्द लिखने को कहते हैं, जिसका मकसद सौभाग्य लाना है. बैलेरीना वहां लोगों को आकर्षित नहीं करती. हमारा लक्ष्य है ग्राहकों को वह देना जो उनके लिए महत्व रखता है. और तब माल भी अच्छे से बिकता है."

ट्रैक्टर के इस मॉडल को बनाने में 45 मिनट लगते हैं. इसमें 97 टुकड़े हैं. जटिल आकृतियों में 600 तक हिस्से होते हैं. सब कुछ ठीक बैठने पर एक परफेक्ट खिलौना बनता है.

निकोलास कोनोली/एमजे