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"रोहिंग्या चरमपंथियों ने एक साल में 163 लोगों की हत्या की"

२७ सितम्बर २०१७

म्यांमार के अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक साल में रोहिंग्या मुसलमान आतंकवादियों ने अशांत रखाइन प्रांत में कम से कम 163 लोगों की हत्या की है. सरकार के मुताबिक आतंकवादियों के हमले के बाद 91 दूसरे लोग लापता भी हैं.  

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Myanmar Hindu-Familie in Rakhine
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Jones

इस हफ्ते तीन सामूहिक कब्रों से कम से कम 45 हिंदुओं के शव मिलने के बाद मंगलवार को अधिकारियों का यह बयान आया है. सरकार मुस्लिम चरमपंथियों को इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार बता रही है. म्यांमार सरकार की सूचना कमेटी ने अपने फेसबुक पन्ने पर एक बयान जारी किया है. इस बयान में कहा गया है कि अक्टूबर 2016 से अगस्त 2017 के बीच हमलों में कम से कम 79 लोगों की हत्या कर दी गयी और 37 लोग लापता हो ये. इन लोगों में स्थानीय अधिकारी, सरकारी कर्मचारी और सुरक्षा बल भी शामिल हैं. 25 अगस्त के बाद से अब तक 84 और लोग मारे गये हैं जबकि 54 लोग लापता हैं. 25 अगस्त को अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी यानी एआरएसए ने कम से कम 30 पुलिस चौकियों पर हमला किया.

सरकार ने पहले कहा था कि करीब 400 कथित आतंकवादियों की हत्या 25 अगस्त से लेकर अब तक हुई है.

Myanmar Rohingya Rauchwolke
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S.Kanti Das

सोमवार को म्यांमार के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अशांत रखाइन प्रांत में तीन कब्रों से 45 हिंदुओँ के शव बरामद किये हैं. इनमें से दो कब्रों से 28 शव रविवार को मिले जबकि 17 शव उसी इलाके से सोमवार को एक दूसरी कब्र से मिले. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि जिन 45 लोगों के शव मिले हैं वे उन 100 लोगों में शामिल हैं जो पुलिस चौकियों पर हमले के बाद लापता हो गये थे. बॉर्डर गार्ड पुलिस के माउंगदॉ मुख्यालय में मेजर जायर न्याइन ने कहा, "हम उस इलाके में अब भी सामूहिक कब्रों की तलाश कर रहे हैं. मुझे ठीक ठीक नहीं पता कि आतंकवादियों ने कितने लोगों को मारा है. हिंदू गांव बिल्कुल उत्तर में है और वहां से संपर्क अच्छा नहीं है, यही वजह है कि सुरक्षा बल वहां तक जल्दी से नहीं पहुंच सकते."

Myanmar Armee an der Grenze zu Bangladesch
तस्वीर: AP

सरकार के दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि का कोई और जरिया नहीं है. रोहिंग्या आतंकवादियों के हमले के बाद सरकार की कार्रवाई में 200 रोहिंग्या मुसलमानों के गांव जल गये हैं और कम से कम 420,000 रोहिंग्या भाग कर बांग्लादेश आ गये हैं. हिंसा के डर से म्यांमार से भाग कर बांग्लादेश आने वाले हिंदुओं का कहना है कि उनके परिवार और रिश्तेदार उन लोगों में शामिल हैं जिनके शव इस हफ्ते सामूहिक कब्रों से निकले हैं. बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रही एक हिंदू महिला ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि हमलावरों ने उसके परिवार के सदस्यों रिशेतादरों को मार डाला. बीना शर्मा ने कहा, "हमारे ज्यादातर पड़ोसी मुस्लिम हैं. नकाबपोश लोगों ने हमें धमकी दी, हमसे नगद और सोना देने को कहा. बाद में उन्होंने हमारे परिवार के 10 लोगों की हत्या कर दी. वे हमें बांग्लादेश ले कर आये और इस शिविर में बंधक बना कर रखा है. वे हमें प्रताड़ित कर मार देना चाहते थे लेकिन हमने कहा कि हम धर्म बदल लेंगे और इस्लाम को मानेंगे. बाद में पुलिस ने हमारी मदद की और हमें शरणार्थी शिविर में ले जाया गया. 

Myanmar Armee an der Grenze zu Bangladesch
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Thein Zaw

इस बीच, हाल में बांग्लादेश के रोहिंग्या कैंप का दौरा करने वाले एक जापानी डॉक्टर ने कहा कि वहां की स्थिति "असाधारण" है. मासामिची योकोई जापान की रेड क्रॉस सोसायटी का हिस्सा बन कर राहत दल के साथ गये थे. उनका कहना है कि जिस तेज रफ्तार से शरणार्थी शिविरों में आ रहे हैं वह "असामान्य" है. उनका कहा है कि राहत के काम में जुटे कार्यकर्ताओं के लिए यह पता करना मुश्किल हो रहा है कि राहत के लिए आ रही सामग्री पर्याप्त है या नहीं. योकोई का कहना है कि कुपोषण और गंदगी से जूझने के साथ ही बहुत से शरणार्थी उस हिंसा से भयभीत हैं जिसके कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा.

एनआर/एके (एपी)