रोमनी हटे पीछे, मैककेन का रास्ता और साफ
८ फ़रवरी २००८इस तरह यह बात अब कमोबेश पक्की मानी जा रही है कि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में रिब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार सीनेटर जॉन मैककैन ही हो सकते हैं।
देशहित की दुहाई
रोमनी ने कहा है कि वह अपनी पार्टी की खातिर और अपने देश की खातिर दौड़ से हट रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं उम्मीदवारी पाने की अपनी लड़ाई को जारी रखता हूं तो इससे हमारी राष्ट्रीय मुहिम में बाधा आएगी। और अगर साफ कहूं तो इससे हिलेरी क्लिंटन या फिर बराक ओबामा को जीतने में आसानी होगी। यह वक्त लड़ाई है, मैं नहीं चाहता कि मेरी मुहिम आतंक के सामने घुटने में मददगार साबित हो। डेमोक्रेटों की तरफ उम्मीदवारी हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन, दोनों ही इराक से अमेरिकी सेना को हटाने की बात कह रहे हैं।
नंबरों का खेल
रोमनी रेस से हटने की वजह भले ही देशहित को बता रहे हो, लेकिन यह भी सच है कि बीते मंगलवार यानी सुपर ट्यूजडे को 24 राज्यों में हुई प्राइमरी में उनका प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। अपनी मुहिम पर लाखों डॉलर खर्च चुके रोमनी चंद राज्यों में ही कामयाबी हासिल कर पाए। ऐसे में, जॉन मैककेन के सामने टिकना आसान नहीं था। मैककेन उम्मदीवारी पाने के लिए जरूरी 1,191 प्रतिनिधियों में से आधों का समर्थन पा चुके हैं। बहरहाल रोमनी कहते हैं कि पीछे कदम हटाना मेरे लिए आसान फैसला नहीं था। मुझे हार से नफरत है, मेरा परिवार, मेरे दोस्त, मेरे समर्थकों ने मुझे यहां तक पहुंचाया है कि मैं राष्ट्रपति बन सकूं। बात अगर सिर्फ मेरी होती तो मैं लड़ता, लेकिन मैं दौड़ शामिल ही इसलिए हुआ कि मैं अमेरिका से प्यार करता हूं।
मैककेन से मतभेद
कहा जा रहा है कि रोमनी के हटने से जॉन मैककेन का रास्ता साफ हो गया है लेकिन खुद रोमनी ने उनका समर्थन नहीं किया है। दरअसल दोनों के बीच कई मुद्दों पर तीखे मतभेद है और पिछले कुछ हफ्तों में तो तीखी बयानबाजियां भी हुई हैं। लेकिन इराक में कामयाबी पाने, ओसामा बिन लादेन को खत्म करने और अलकायदा और आतंकवाद के सफाए के मुद्दों पर रोमनी, मैककेन की राय से इत्तिफाक रखते हैं। वैसे अब रिपब्लिकन पार्टी के दूसरे दावेदार माइक हबकी पर भी दबाव बढ़ेगा कि वह भी रोमनी के नक्शेकदम पर चले, यह बात अलग है कि हकबी ने साफ कर दिया है कि वह मैककेन के सामने मैदान में डटे रहेंगे।