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रैगिंग पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

८ मई २००९

सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी राज्य सरकारों से रैगिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का लेखा जोखा मांगा है. रैगिंग के दौरान हाल में हिमाचल प्रदेश में एक मेडिकल छात्र की जान जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख़्त रवैया अपनाया.

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कई यूनिवर्सिटी में छात्र रैगिंग से परेशानतस्वीर: DW / Anwar Jamal Ashraf

सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत के सभी राज्य सरकारों को रैगिंग के मामलों की जांच के लिए विशेष समीतियां बनाने के निर्देश दिए हैं. रैगिंग से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई विशेष बेंच के जज अरिजीत पसायत ने सभी कॉलेजों को एक एक मनोवैज्ञानिक रखने को कहा है. ताकि मुसीबत में फंसे बच्चे इनसे मिल कर अपनी परेशानियों की बात कर सके. और अगर किसी छात्र को शराब की लत है तो कॉलेजों को शराब छुड़ाने में भी मदद करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बदले में सभी राज्य सरकारें रैगिंग से निपटने के लिए उठाए गये कदमों का लेखा जोखा एक रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को देंगी.

हिमाचल प्रदेश के कांगरा ज़िले में एक मेडिकल कॉलेज में मार्च में हुए अमन कचरू रैगिंग कांड के बाद एक उच्च स्तरीय समिति ने इस घटना की जांच की थी. अमन कचरू कांगड़ा के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहा था. कचरू फर्स्ट ईयर का छात्र था और सीनियर्स की गई रैगिंग के बाद उसकी जान चली गई थी. उच्च स्तरीय समिति ने अपनी जांच में रैगिंग के हादसों के पीछे शराब को सबसे ज़्यादा दोषी ठहराया.

समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में कॉलेजों को दोषी ठहराते हुए कहा था, "कॉलेज रैगिंग से निपटने के लिए दल नहीं बना पाए और न ही राघवन कमेटी के निर्देशों का पालन कर पाए." राघवन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि सभी कॉलेजो और यूनिवर्सिटीयों को रैगिंग से निपटने के लिए विशेष दल बनाने चाहिए. राघवन कमेटी का गठन दिसंबर 2006 में मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कालेजों में रैगिंग ख़त्म करने के सुझाव मांगे थे.

रिपोर्ट: पीटीआई/पी चौधरी
संपादन: ए जमाल