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रेल के रोमांच से रिकॉर्ड बनाने का सफर

Priya Esselborn१ मार्च २०१२

चार हफ्तों में यूरोप के 36,000 किलोमीटर का सफर तय करके मैनफ्रेड वाइस ने 25 साल पहले रिकॉर्ड बनाया था. आज भी रेल यात्रा की उनकी इस शानदार मिसाल को कोई नहीं तोड़ पाया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

"जब तक मैं ट्रेन की सवारी न करूं, मेरे लिए छुट्टी छुट्टी नहीं होती." वाइस के लिए छुट्टियों की शुरुआत का मतलब है रेलवे स्टेशन और रेल की पटरी पर कभी धीमी, कभी तेज रफ्तार से चलती ट्रेन. 25 साल पहले वाइस ने यूरोप में 36,000 किलोमीटर का सफर तय किया, एक इंटररेल टिकट के जरिए जिसमें यात्री एक महीने के लिए एक टिकट खरीद सकते हैं और पूरा यूरोप देख सकते हैं. गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी इसे विश्व रिकॉर्ड का दर्जा दिया है.

वाइस अब 40 साल के हो चुके हैं. उस वक्त को याद करते हुए कहते हैं कि उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा दूरी तय करने का नहीं था. "मैंने अपना रूट अपने पसंदीदा शहरों के आधार पर चुना." यूरोपीय देशों की लगभग सारी राजधानियों का दौरा कर चुके वाइस ने स्टॉकहोम से शुरुआत की और फिर मैड्रिड, रोम और एथेंस के लिए निकल पड़े. उन्हें कभी जल्दी नहीं थी लेकिन लंबी यात्राओं में उन्हें ट्रेन में स्लीपर कोच के लिए और पैसे देने पड़ते. महंगी यात्रा की तैयारी के साथ वाइस ने 16 देशों की अलग अलग मुद्राओं में पैसे भी जुटाए. आजकल यूरो के होने से यूरोप में यात्रा करना आसान हो गया है.

वाइस कहते हैं कि ट्रेन से सफर करने का एक बहुत बड़ा फायदा है. हवाई अड्डे अकसर शहर के बाहर होते हैं और किसी भी नए शहर में आपको बहुत परेशानी होती है. कहते हैं, "रात को आप किसी एयरपोर्ट पर पहुंचते हैं, आपको पता नहीं आप कहां है. मुझे यह सोचकर बहुत हैरानी होती है. मुझे किसी भी जगह तक आराम से पहुंचना अच्छा लगता है."

गिनिज बुक को अपने सफर के बारे में सबूत के तौर पर वाइस ने सारे टिकट, होटल के रसीद और ऐसी हर चीज दी जिससे उन्हें विश्वास हो जाए कि वाइस सचमें 36,000 किलोमीटर तय कर चुके हैं. उन्हें अब भी आश्चर्य होता है कि उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बना लिया और वह खास तौर पर इस बात से चकित हैं कि आजकल ट्रेनें इतना तेज चलती हैं. जर्मनी में आईसीई और फ्रांस की टीजीवी 200 किलोमीटर के रफ्तार से चलती हैं.

स्कूल में ही गिनिज रिकॉर्ड हासिल करने के बाद वाइस अपनी पत्नी के साथ विश्व यात्रा पर निकले. ट्रेन से उन्होंने ईरान, पाकिस्तान, चीन और हांगकांग तक का सफर किया है. फ्रैंकफर्ट से सीरिया और मिस्र से सूड़ान का सफर कर अफ्रीका के कई हिस्सों को वह ट्रेन के अंदर से देख चुके हैं. वाइस को इस बात की खुशी है कि ट्रेनों में उनके बहुत दोस्त बने हैं और उनकी जान पहचान भी बढ़ी है. कंप्यूटर इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे वाइस के लिए रेल के सफर का मतलब लोगों से मिलना है. कहते हैं कि ट्रेन में सोना उन्होंने कभी नहीं सीखा, "मैं रेल में सो नहीं सकता. लेकिन सफर सोने के लिए तो वैसे भी नहीं है."

रिपोर्टः डीपीए/एमजी

संपादनः एन रंजन