रूस और इंग्लैंड को यूएफा की सख्त चेतावनी
१३ जून २०१६रविवार को कमजोर मानी जाने वाली टीम यूक्रेन ने जर्मनी की हालत खस्ता कर दी. विश्व कप विजेता जर्मनी 2-0 से जीतने में कामयाब रहा, लेकिन टीम के गोलकीपर कप्तान मानुएल नॉयर और डिफेंडर जेरोम बोआटेंग को इसके लिए खासी मेहनत करनी पड़ी.
इसके पहले फ्रांस में आयोजन स्थल के बाहर हुई हिंसा में कई लोगों के गंभीर रूप से घायल हुए. यूनियन ऑफ यूरोपीयन फुटबॉल एसोसिएशंस (यूएफा) ने फैन्स की उत्पात के चलते रूस और इंग्लैंड को यूरो2016 से बाहर निकाल देने की चेतावनी दी. हालांकि उसने माना कि स्टेडियम की सुरक्षा व्यवस्था में भी कमी थी.
इस बीच फ्रांस सरकार ने बताया है कि उन्होंने चैंपियनशिप की शुरुआत से अब तक हूलिगन हिंसा से जुड़े 63 लोगों को गिरफ्तार किया है. सरकार ने पुलिस को स्टेडियम के आसपास मैच के एक दिन पहले से ही शराब की बिक्री और सेवन पर रोक लगाने के नए अधिकार भी दिए हैं.
यूएफा को चेतावनी तब देनी पड़ी जब तीन दिनों तक फ्रांस के मार्से में रूसी और इंग्लिश फैन्स के बीच हिंसक झड़पें होती रहीं और रविवार के मुकाबले से पहले जर्मनी के हूलिगंस भी वहां सड़कों पर मारपीट में कूद गए. खासतौर पर इंग्लैंड-रूस के मैच के ड्रॉ होने के बाद हिंसा बहुत बढ़ गई. इसमें 35 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें से तीन की स्थिति गंभीर बनी हुई है.
सन 1998 के फुटबॉल विश्व कप के बाद से इस फ्रांसीसी शहर में हुई यह सबसे हिंसक झड़प है. 18 साल पहले मार्से में ही इंग्लिश और ट्यूनिशियन फैन्स टकराए थे और बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी.
यूएफा को इस बात की आशंका है कि भविष्य में होने वाले मुकाबलों में फिर से किसी खास देश के फैन्स आपस में भिड़ सकते हैं, जिसे देखते हुए उसने इससे सख्ती से निपटने का फैसला किया है. रूस के खिलाफ आरोप जड़ते हुए यूएफा ने कहा कि उसके फैन्स ने काफी अव्यवस्था फैलाई, नस्लभेदी बर्ताव किया, साथ ही मार्से स्टेडियम में पटाखे और रॉकेट दागे थे.
स्टेडियम में सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत पर भी बल दिया गया. एक महीने चलने वाले इस यूरोपीय चैंपियनशिप यूरो2016 में 24 देशों की फुटबॉल टीमें हिस्सा ले रही हैं.
फ्रेंच शहर लिले में जर्मनी-यूक्रेन मैच के पहले जर्मन फुटबॉल फैन्स और यूक्रेन के समर्थकों में मारपीट हुई. जर्मनी के 50 से भी अधिक हूलिगंस इस लड़ाई में शामिल बताए गए हैं. हालात पर काबू करने के लिए 1,200 से भी अधिक दंगा पुलिस को जद्दोजहद करनी पड़ी और बाद में भीड़ पर नियंत्रण के लिए आंसू गैस भी छोड़नी पड़ी.