रुचिका मामले की सीबीआई जांच शुरू
११ जनवरी २०१०सोमवार को रुचिका मामला अपने हाथ में लेते हुए सीबीआई ने नई दिल्ली में हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ और उसके सहयोगियों के ख़िलाफ़ मुक़दमे दर्ज किए. सीबीआई के प्रवक्ता हर्ष भाल ने कहा कि केंद्र सरकार की सहमति के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, ''सीबीआई रुचिका गिरहोत्रा मामले में तीन केसों की जांच करेगी.''
क़ानूनी प्रकिया के तहत राठौड़ एंड कंपनी के ख़िलाफ़ सीबीआई ने स्पेशल क्राइम ज़ोन एक्ट के तहत दोबारा मुक़दमे दर्ज किए हैं.
कौन कौन से हैं केस
पहला केस आत्महत्या के लिए मजबूर करने का है. इसमें राठौड़, एसपी केपी सिंह, सब इंस्पेक्टर प्रेम दत्त और दो सब इंस्पेक्टरों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है.
दूसरा मुक़दमा हत्या की कोशिश और सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए किसी को हानि पहुंचाने का है. इसमें राठौड़ और दो अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया है.
तीसरे मामले में राठौड़ और उसके साथियों को आपराधिक षडयंत्र रचने और सबूतों को मिटाने का आरोपी बनाया गया है.
इन मुक़दमों के बाद आगे की कार्रवाई की जानकारी देते हुए सीबीआई प्रवक्ता हर्ष भाल ने कहा, ''सीबीआई की स्पेशल क्राइम यूनिट-1 के एसपी को चीफ़ इनवेस्टिगेटिंग अफ़सर नियुक्त किया गया है. वहीं इन तीनों मामलों की जांच देखेंगे. उनके साथ अन्य इनवेस्टिगेटिंग अफ़सरों की टीम और कानूनी विशेषज्ञ भी होंगे.''
सीबीआई की अपील
केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में लोगों से भी अपील की है कि वह मदद के लिए आगे आएं. सीबीआई ने कहा कि अगर इस केस से संबंधित कोई भी जानकारी किसी के पास हो वह एजेंसी की मदद करे. इसके लिए सीबीआई ने चंडीगढ़ का एक पता और spscbchg@cbi.gov.in ईमेल भी सार्वजनिक किया है.
एसपीएस राठौड को 1990 में रुचिका का उत्पीड़न करने का दोषी ठहराया जा चुका है. राठौड़ और उसके साथियों पर आरोप है कि बाद में उन्होंने रुचिका और उसके परिवार को प्रताड़ित किया. रुचिका के भाई के ख़िलाफ़ झूठे मुक़दमे दर्ज कराए. इसकी वजह से 1993 में रुचिका ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार