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विज्ञान ने विरोधियों को जोड़ा

१४ जून २०१७

ईरान, इस्राएल या मध्य पूर्व के देश अक्सर एक दूसरे से निगाहें नहीं मिलाते. धुर विरोधी समझे जाने वाले इन देशों के वैज्ञानिकों को साथ लाने वाला एक रिसर्च सेंटर इस साल जल्द ही अपना काम शुरू करने जा रहा है.

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DW Projekt Zukunft vom 04.06.2017
तस्वीर: DW

एक शोध संस्थान जिसके लिए ईरान, इस्राएल और मध्य पूर्व साथ आने को तैयार हुए थे, जल्द ही अपना काम शुरू करने जा रहा है. इस संस्थान का मकसद युद्ध और संकटों से घिरे मध्य पूर्व क्षेत्र में वैज्ञानिक खोजों और शोध को बढ़ावा देकर बेहतर भविष्य के दरवाजे खोलना है. 2003 में हुई पहल के बाद से इस प्रोजेक्ट की राह अत्यंत मुश्किल रही है. राजनीतिक विवादों के अलावा 2010 में इस प्रोजेक्ट से जुड़े ईरानी वैज्ञानिक की हत्या भी हो गयी थी.

प्रोजेक्ट के निदेशक जॉर्डन के खालेद तुकान का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती लगातार फंड की कमी रही है. उन्होंने कहा कि कई बार तो परियोजना के खत्म होने तक का जोखिम पैदा हो गया, लेकिन वह ऐसी स्थिति में पहुंच चुका था जहां से वापसी संभव नहीं थी. उन्होंने 8 सदस्यों वाली इस परियोजना के बारे में कहा, "यह अब भी काम कर रहा है और मैं हैरान हूं." इसमें मिस्र, तुर्की, साइप्रस, पाकिस्तान और फलस्तीनी प्राधिकरण के लोग शामिल हैं.

प्रोजेक्ट का नाम 'सेसेमी' यानि सिंक्रोट्रॉन लाइट फॉर एक्सपेरिमेंटल साइंस एंड एप्लीकेशंस इन मिडिल ईस्ट है. इसके केंद्र में सिंक्रोट्रॉन लाइट सोर्स है, जो दरअसल एक ताकतवर माइक्रोस्कोप है. सिंक्रोट्रॉन वह मशीन होती है, जिसमें विद्युत क्षेत्र को एक सी आवृत्ति पर रखा जाता है. मशीनें इलेक्ट्रॉनों को बहुत तेज लाइट बीम में परिवर्तित करने का काम करती हैं. वैज्ञानिक इस लाइट बीम को उन चीजों पर केंद्रित कर सकते हैं जिनके बारे में वे शोध करना चाहते हैं, कोशिकाओं से लेकर मटीरियल तक.

पहली दो बीम लाइन नवंबर से काम करना शुरू कर देंगी. तुकान कहते हैं कि दर्जनों शोधकर्ताओं ने बीम लाइन पर अध्ययन करने के लिए आवेदन किया है. आगे चलकर ऐसी कम से कम बारह बीम लाइनें तैयार की जायेंगी, जिससे इस क्षेत्र के सैकड़ों शोध सामने आ सकें. मिस्र की भौतिक विज्ञानी गिहान कमल कहती हैं कि ये शोध केंद्र विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के लिए रास्ते खोलेगा. उन्होंने कहा कि सेंटर स्नातक महिला विद्यार्थियों और डॉक्टरेट विद्यार्थियों को रिसर्च करने के मौके भी देगा.

तेहरान के बीम लाइट विशेषज्ञ हुसैन खोसरोबादी का कहना है कि साथ मिलकर चलने का एक ही रास्ता है कि सब केवल विज्ञान के बारे में सोचें. अगर लोग राजनीति की बात करने लगेंगे तो परेशानी खड़ी हो जाएगी.

एसएस/आरपी (एपी)