1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

राजीव गांधी ने कुछ नहीं किया

२५ अप्रैल २०१२

बोफोर्स घोटाले की जानकारियां लीक करने वाला पुलिस अधिकारी सामने आया है. स्वीडन के पूर्व पुलिस अधिकारी ने इस मामले में राजीव गांधी के पैसा न लेने और अमिताभ बच्चन को फंसाए जाने की बात कही है.

https://p.dw.com/p/14ke9
तस्वीर: AP

बोफोर्स घोटाले से जुड़ी जानकारियों को अब तक पर्दे के पीछे रह कर लीक करते आए स्वीडन के पुलिस अधिकारी स्टेन लिंडस्टॉर्म ने खुद को जाहिर कर दिया है. 1987 में जब यह घोटाला सामने आया तब लिंडस्टॉर्म स्वीडन के पुलिस प्रमुख थे.

लिंडस्टॉर्म का कहना है कि इस बात के कोई सबूत नहीं कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बोफोर्स सौदे में पैसा लिया लेकिन वह, "भारत और स्वीडन में पूरे मामले को देखते रहे, फिर भी कुछ नहीं किया." इसका नतीजा हुआ, "बेकसूर लोगों को सजा हुई और दोषी खुलेआम घूमते रहे." लिंडस्टॉर्म ने इस मामले में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन को बेकसूर ठहराते हुए कहा है कि उन्हें भारतीय एजेंसियों ने फंसाया था. उन्होंने कहा है कि इस घोटाले में अमिताभ बच्चन का नाम जानबूझ कर घसीटा गया था.

Rajiv Gandhi Hochzeit mit Sonia Gandhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस खुलासे के बाद अमिताभ और जया बच्चन ने 25 साल से दबी टीस जाहिर की है. इस घोटाले के बाद अमिताभ बच्चन और उनका परिवार जांच के दायरे में आ गया था. बाद में उन्होंने संसद से इस्तीफा दे दिया था और राजीव गांधी परिवार के साथ बच्चन परिवार के संबंध बिगड़ते चले गए. अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि इससे उनको मिले दर्द का हिसाब कोई नहीं लगा सकता. "इस वाकये के 25 साल बाद उन्हें आज यह पढ़ने को मिला कि वह इस मामले में बेकसूर हैं. वह भी ऐसे मामले में जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी."

Bollywood Schauspieler Amitabh Bachchan Indien
तस्वीर: AP

लिंडस्टॉर्म के बयानों ने इस घोटाले की जांच पर कई सवाल उठाए हैं. लिंडस्टॉर्म ने कहा है कि गांधी परिवार से जुड़े हथियारों के दलाल ओत्तावियो क्वात्रोची के खिलाफ "पर्याप्त सबूत" हैं. पिछले साल मार्च में भारतीय पुलिस ने इस मामले की जांच यह कहते हुए बंद कर दिया कि उनके पास किसी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और आगे की जांच करदाताओं के पैसे की बर्बादी होगी.

लिंडस्टॉर्न ने इस मामले की छानबीन के दौरान सामने आए दस्तावेजों को गुपचुप भारतीय अखबारों के हवाले कर दिया था, जिनमें चित्रा सुब्रमण्यम डुएला भी शामिल थीं. अब चित्रा के जरिए ही लिंडस्टॉर्म दुनिया के सामने आए हैं. हूट मीडिया वेबसाइट पर छपे चित्रा के लिए इंटरव्यू में लिंडस्टॉर्म ने कहा है, "मैं मामले की तह तक पहुंचने के लिए अपनी सरकार, बोफोर्स या भारत सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता था. मेरे पास बस यही विकल्प था कि दस्तावेज किसी ऐसे को दिया जाए जिस पर हम भरोसा कर सकें." भारत में लिंडस्टॉर्न स्वीडीश डीप थ्रोट के नाम से जाने जाते हैं. डीप थ्रोट उस शख्स का खुफिया नाम था जिसने वाटरगेट कांड का भंडाफोड़ कर अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को 70 के दशक में कुर्सी से हटाने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

राजीव गांधी का नाम इस मामले में आने के बाद कांग्रेस पार्टी को 1989 के चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. इसके बाद 1991 में तमिल चरमपंथियों ने उनकी हत्या कर दी. इटली में जन्मी राजीव गांधी की बीवी सोनिया गांधी फिलहाल कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाल रही हैं और सरकार एक बार फिर कई घोटालों के आरोप झेल रही है.

रिपोर्ट: एन रंजन (एएफपी)

संपादन: महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी