राजशाही समाप्त, नेपाल गणतंत्र घोषित
२९ मई २००८संविधान सभा की बैठक देश की प्रमुख पार्टियों के बीच विवाद के कारण कुछ घंटों के लिए टाल दी गई थी. 601 सदस्यों वाली संविधान सभा ने नए राष्ट्रपति और अन्य मुद्दों पर चर्चा के बाद शाम में संविधान सभा की बैठक के बाद ऐलान किया.
देश के गणतंत्र बनने की ओर बढ़ने की खुशी में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और खुशी में उन्होंने गुलाल उड़ाया। बड़ी संख्या में लोगों ने राजा ज्ञानेन्द्र के खिलाफ नारे लगाए और उनसे महल खाली करने की मांग की.
ज्ञानेन्द्र बने आम नागरिक
संविधान सभा के इस फ़ैसले के बारे में नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. फिलहाल उन्हें 15 दिनों के भीतर अपना महल खाली करने के लिये कहा गया है. अब उनके वही अधिकार होंगे जो एक आम नागरिक के पास हैं.
वैसे नेपाल में राजा को हिंदू भगवान विष्णु का अवतार माना जाता रहा है लेकिन ज्ञानेन्द्र ने दो साल पहले माओवादी आंदोलन को रोकने के लिये सत्ता अपने हाथों में ले ली और तब से उनकी लोकप्रियता घटती गई.
प्रचंड नए नेपाल का चहरा
जहां एक तरफ राजा से उनका मुकुट छीना जा रहा है वहीं एक और आदमी नेपाल में राजा से भी ताक़तवर शख़्सियत के रूप में उभरा है और वो है प्रचंड. 25 वर्षों तक भूमिगत रहने के बाद, दस साल तक नेपाल के जंगलों और पहाड़ों में हथियारबंध आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद ये माओवादी नेता नए नेपाल में सरकार का नेतृत्व कर रहा है.
नवंबर 2006 में माओवादियों के साथ हुए ऐतिहासिक शांति समझौते के बाद विद्रोहियों ने अपना हथियारबंद संघर्ष छोड़ दिया और एकता सरकार में शामिल हो गए. दस अप्रैल को हुए संविधान सभा के चुनाव में माओवादियों को अप्रत्याशित जीत मिली और उसके साथ ही नेपाल में राजशाही के लिए सारे दरवाज़े बंद हो गए.
देख रहें हैं प्रगतिः अमेरिका
मानवाधिकार संस्थाएं माओवादियों पर हत्या, डराने धमकाने और लूटमार के आरोप लगाती आई हैं. यहां तक कि अमेरिका भी प्रचंड के ग्रुप को आंतकवादी संगठन मानता है। वॉशिंगटन से फिलहाल सिर्फ इतना कहा गया है कि वो गतिविधियों पर नज़र रखे है और वहां राजनीतिक विकास की कामना करता है.