ये हैं दुनिया को चौंकाने वाली मुलाकातें
हाथ मिला कर अभिवादन करना एक आम बात है. लेकिन जब दो राजनीतिक धुर विरोधियों के बीच हाथ मिलाया जाता है तो विश्व राजनीति में खलबली मच जाती है. दुनिया नजर गड़ा कर देखती है कि अब क्या होगा. एक नजर ऐसी ही मुलाकातों पर.
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया
परमाणु हथियारों और धमकियों के बीच जब उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ इन ने हाथ मिलाकर मुलाकात की तो दुनिया की निगाहें इस पर टिक गई. दोनों देशों के नेताओं के बीच यह मुलाकात 27 अप्रैल 2018 को पनमुनजोम नाम के गांव में हुई. यह गांव उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सीमा पर स्थित है. यह वही गांव है जहां कोरियाई युद्ध के संघर्षविराम का फैसला लिया गया था.
इस्राएल और फलीस्तीन
एक दूसरे के कट्टर विरोधी इस्राएल और फलीस्तीन के नेताओं ने साल 1993 में मुलाकात कर ओस्लो समझौते पर दस्तखत किए थे. महीनों चली बातचीत के बाद इस्राएल के तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन और फलीस्तीनी नेता यासिर अराफात के बीच 13 सितंबर 1993 को एक मुलाकात हुई थी. यह मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति निवास व्हाइट हाउस में हुई. और, इसके गवाह बने थे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन.
अमेरिका और क्यूबा
एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे अमेरिका और क्यूबा के बीच कड़वहाहट सबसे पहले साल 2013 में कम होती दिखी. नेल्सन मंडेला के अंतिम सस्कार पर पहुंचे क्यूबा के नेता राउल कास्त्रो और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाथ मिलाया था. साल 2015 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बहाल किए गए. साल 2016 में ओबामा ने क्यूबा की यात्रा कर इतिहास रच डाला.
ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड
ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के बीच भी ऐसा पल आया. साल 2012 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने आयरलैंड का दौरा किया. साथ ही आइरिश रिपब्लिकन सेना के प्रमुख मार्टिन मैकगुइनेस से मुलाकात कर हाथ मिलाया. दोनों पक्षों के बीच टकराव का लंबा इतिहास रहा है. आयरिश रिपब्लिकन सेना उत्तरी आयरलैंड से ब्रिटिश शासन को खत्म कर आयरलैंड में शामिल होना चाहती थी. लेकिन यह ब्रिटेन में ही रहा.
चीन और ताइवान
साल 1949 का गृहयुद्ध, और फिर दर्दनाक विभाजन के दशकों बाद चीन और ताइवान के नेता पहली बार साल 2015 में सिंगापुर में मिले. अपनी इस मुलाकात में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ताइवान के राष्ट्रपति मा यिंग-चिओ ने करीब एक मिनट तक हाथ मिलाकर मुस्कराहटें साझा की. लेकिन इस मुलाकात की राजनीतिक कीमत मा यिंग-चिओ को अपने घर में चुकानी पड़ी और साल 2016 में वह चुनाव हार गए.