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यूरोप के दूसरे शहरों में भी हुए यौन अपराध

८ जनवरी २०१६

जर्मनी में नए साल के मौके पर महिलाओं के साथ बड़े पैमाने पर यौन दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद अब दूसरे यूरोपीय देशों से भी ऐसी शिकायतें आ रही हैं. जर्मन चांसलर मैर्केल ने विदेशियों के समेकन पर खुली बहस की मांग की है.

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तस्वीर: Reuters/W. Rattay

कोलोन में विश्व प्रसिद्ध कैथीड्रल के सामने हुई घटना पर बढ़ते आक्रोश के बीच पुलिस ने 16 लोगों की शिनाख्त करने की बात की है, जिनपर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के आरोप हैं. इन घटनाओं के लिए आप्रवासियों पर आरोप लगाए गए हैं. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कोलोन में 1000 लोगों की भीड़ में नशे में चूर 20 से 30 नौजवानों के ग्रुप ने पीड़ितों को घेरे में ले लिया, उनके साथ छेड़छाड़ की और कुछ मामलों में उन्हें लूट भी लिया. अब तक 121 शिकायतें दर्ज की गई हैं. तीन चौथाई मामले यौन अपराधों वाले हैं जबकि बाकी शारीरिक क्षति पहुंचाने और चोरी के हैं. पुलिस ने कहा है कि वे 16 नौजवानों की जांच कर रहे हैं जिनमें अधिकतर उत्तरी अफ्रीकी मूल के हैं, लेकिन अब तक किसी पर मुकदमा दायर नहीं किया गया है. जांच अधिकारी सीसीटीवी फुटेज देख रहे हैं और संदिग्ध लोगों को चार्जशीट करने के लिए गवाहों द्वारा दी गई जानकारी का अध्ययन कर रहे हैं.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वचन दिया है और कहा है कि जर्मनी को नए लोगों को समाज में घुलाने मिलाने पर मौलिक बहस करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें हमारे सहजीवन के सांस्कृतिक आधारों की भी बात करनी चाहिए." चांसलर ने इस बात का स्वागत किया कि यौन अपराधों का शिकार होने वाली महिलाएं बड़ी संख्या में सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने गंभीर सवाल उठाए हैं जिनका सिर्फ कोलोन से लेना देना नहीं है. हमलों ने दिखाया है कि "कुछ हलकों में महिलाओं के लिए तिरस्कार की भावना है." चांसलर ने कहा कि इससे पूरी दृढ़ता से निबटने की जरूरत है.

हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि इस बात के संकेत नहीं है कि नए साल की रात यौन अपराध करने वाले रिफ्यूजी थे, लेकिन चांसलर मैर्केल की शरणार्थी नीति के विरोधी मौके का फायदा उठा रहे हैं. उग्र दक्षिणपंथी पेगीडा ने शनिवार को प्रदर्शन का आह्वान किया है. इस बीच राजनीतिक हलकों में यह बहस भी छिड़ गई है कि सजायाफ्ता शरणार्थियों को देश से निकालना आसान बनाया जाना चाहिए. मैर्केल ने इस पर कार्रवाई करने का वचन दिया है, "हमें इसकी समीक्षा करनी होगी कि क्या हमारे कानून का आदर न करने वालों को साफ सिग्नल देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं."

कोलोन में महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार की घटना देश में अकेली घटना नहीं थी. उत्तरी शहर हैम्बर्ग और दक्षिण शहर श्टुटगार्ट से भी इस तरह की खबर आई. हैम्बर्ग पुलिस के इनुसार वहां करीब 70 शिकायतें दर्ज की गई हैं जिनमें 23 ने चोरी की भी शिकायत की है. गुरुवार को जर्मनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार बिल्ड और श्पीगेल ऑनलाइन ने एक गोपनीय पुलिस रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि उस रात पुलिस अपराध को रोकने में पूरी तरह असहाय थी. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार एक ही समय में बहुत सारे अपराध हो रहे थे, पीड़ितों और गवाहों दोनों को ही धमकाया गया.

यूरोप के दूसरे शहरों से भी कोलोन जैसे यौन अपराधों की खबर आ रही है. स्विस पुलिस ने कहा है कि ज्यूरिख में नए साल के मौके पर जर्मनी जैसी घटना से मिलती जुलती घटना में कई महिलाओं पर यौन हमला किया गया और उन्हें लूट लिया गया. ऑस्ट्रिया में जाल्सबर्ग पुलिस ने कहा है कि उसे इस तरह के कई मामलों की शिकायत मिली है. मीडिया ने भी यौन दुर्व्यवहार के मामलों के बढ़ने की रिपोर्ट की है. स्विस और ऑस्ट्रियन पुलिस महिलाओं द्वारा की गई आपराधिक शिकायतों की जांच कर रही हैं. फिनलैंड में भी पुलिस ने उस रात हेलसिंकी में यौन अपराधों के मामलों की बड़ी संख्या की रिपोर्ट दी है. उन्होंने कहा है कि उन्हें शरणार्थियों के कुछ गुटों द्वारा महिलाओं के साथ छेड़ छाड़ की योजना बनाने की सूचना मिली थी. हेलसिंकी के उप पुलिस प्रमुख इका कोस्कीमाकी ने कहा, "पिछले सालों में या दूसरे आयोजनों पर इस तरह की छेड़छाड़ नहीं हुई थी. हेलसिंकी में यह पूरी तरह नई बात थी."

जर्मनी के गृह मंत्री थोमस दे मेजियेर ने चेतावनी दी है कि शरणार्थियों सहित गंभीर अपराध करने वाले विदेशियों को पता होना चाहिए कि उन्हें डिपोर्ट कर दिया जाएगा. जर्मनी में विदेशियों को वापस भेजने के कड़े कानून हैं. शरणार्थियों को वापस भेजे जाने के लिए कम से कम तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है. उन्हें अपने देश में भी जान का खतरा नहीं होना चाहिए. लेकिन दे मेजियेर ने कहा कि हमें इन प्रावधानों को बदलने पर बहस करनी होगी. जर्मनी के मुस्लिम समुदाय ने भी महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार की निंदा की है. कुछ लोग यह चिंता भी व्यक्त कर रहे हैं कि स्थिति स्पष्ट होने से पहले मुसलमानों पर अंगुली उठाना उचित नहीं हैं, जबकि ज्यादातर आप्रवासी कानून का पालन करने वाले हैं.

एमजे/आईबी (एएफपी, एपी)