1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
शिक्षा

यूपी में तो इंजीनियरों को शादी के रिश्ते भी नहीं आते

फैसल फरीद
११ अगस्त २०१७

अंग्रेजी में अक्सर बबल बर्स्ट सुनने को मिलता हैं. उत्तर प्रदेश में आखिरकार इंजीनियरिंग कोर्स में बबल बर्स्ट हो चुका हैं. हजारों खाली सीटें और बंद होते सैकड़ों इंजीनियरिंग कॉलेज इसकी कहानी कह रहे है.

https://p.dw.com/p/2i3AC
Modernes Indien, IT Technologie
तस्वीर: Punit Paranjpe/AFP/Getty Images

अब कोई नहीं कहता कि बड़ा होकर मेरा लड़का इंजीनियर बनेगा. यहां तक उत्तर प्रदेश में तो इंजीनियर की शादी के लिए अब बहुत रिश्ते भी नहीं आते.

अगर अखबारों की खबरों को माने तो ये ट्रेंड हर जगह दिख रहा है. भारत में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) जिनका पूरी दुनिया में नाम है, वहां भी इस साल 121 सीट खाली रह गयी है. देश में इस समय 23 आईआईटी हैं और लगभग दस हजार सीटें हैं. ये कोई पहली बार नहीं हुआ है, आईआईटी में ये चौथा साल है जब सीटें खाली जा रही हैं.

बात उत्तर प्रदेश की. यहां सबसे ज्यादा आबादी है लिहाजा सबसे ज्यादा छात्र हैं. नब्बे के दशक में गिने चुने इंजीनियरिंग कॉलेज सरकारी क्षेत्र में थे. छात्र तब यहां से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण के राज्य ज्यादातर कर्नाटक का रुख करते थे. फिर एक दौर आया कि जब कुकुरमुत्तों की तरह इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए. लाखों सीटें सिर्फ उत्तर प्रदेश में हैं. हालत ये है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा इंजीनियरिंग स्नातक अब बेरोजगार घूमते हैं.

उत्तर प्रदेश में अभी हाल में अबुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) ने अपने एडमिशन खत्म किये हैं. आंकड़ों की बात करें तो मैकेनिकल स्ट्रीम में 26924 सीटें थी लेकिन मात्र 2656 भर पाईं. कंप्यूटर साइंस में 23609 सीटें थी लेकिन 4739 छात्र मिले, सिविल इंजीनियरिंग में 19253 सीटें हैं लेकिन दाखिला केवल 1876 पर हुआ, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में 20301 सीटें हैं लेकिन केवल 2317 छात्र जुटे, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में 8465 सीटों के लिए सिर्फ 1746 पर एडमिशन हुआ, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल में 13584 सीटें हैं लेकिन 1942 ही भर पाई. नयी स्ट्रीम बायोटेक्नोलोजी में 2246 सीटें हैं और 388 छात्रों ने एडमिशन लिया. यूं समझ लीजिये कि सबसे ज्यादा एडमिशन 19.9 फीसदी केवल इनफॉर्मेशन टेक्नोलोजी में हुए.

Indian Institutes of Technology in Kota
तस्वीर: AP

जाहिर है हजारों सीटें खाली पड़ी हैं. इंजीनियरिंग कॉलेज छात्रो का रास्ता देख रहे हैं. जबरदस्त विज्ञापन कर रहे हैं. एक छात्र की माने तो एक इंजीनियरिंग कॉलेज ने तो यहाँ तक कह दिया है कि दो और एडमिशन करवा दो, और तुम फ्री में पढ़ लो. कोई लैपटॉप बाँट रहा है, कोई फीस कम किये दे रहा है, लेकिन छात्र नहीं मिल रहे हैं.

परेशान हो कर प्रदेश में लगभग दस इंजीनियरिंग कॉलेज ने अपने गेट पर ताला बंद करने के लिए एकेटीयू से कहा हैं. इसके अलावा 300 कॉलेज में एक भी बच्चा नहीं पंहुचा. एकेटीयू के वाईस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के अनुसार अब ऐसे कॉलेज को बंद करना पड़ेगा. ऐसे कॉलेज को जीरो एडमिशन के केटेगरी में रखा गया हैं. कॉलेज प्रबंधक भी परेशान हैं क्यूंकि इससे ज्यादा कमाई तो मैरिज हॉल खोल लेने में होती.

एकेटीयू करीब 600 कॉलेज को एफिलियेशन दे चुका हैं. जिसमे 300 कॉलेज बंदी की कगार पर हैं. एक अनुमान के अनुसार एकेटीयू की और से होने वाली राज्य प्रवेश परीक्षा से सिर्फ 20 हज़ार सीटें भर पाती हैं. इसमें भी सरकारी कॉलेज की छह हज़ार सीट्स होती हैं. इसके अलावा कॉलेज मेहनत करके 20-25 हज़ार सीट अपने स्तर से भर लेते हैं. कुल सीटों की संख्या लेकिन डेढ़ लाख हैं. नतीजा बाकी खाली रह जाती है. यहाँ तक कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ के 60 कॉलेज में 50 में कोई एडमिशन नहीं हो पाया. दूसरा एजुकेशन हब प्रदेश में गाज़ियाबाद और एन सी आर में हैं वहां लगभग 300 कॉलेज है और लगभग 280 में कोई एडमिशन नहीं हुआ.