यूनीसेफ ने बताया 2016 को सीरियाई बच्चों के लिए सबसे बुरा साल
१३ मार्च २०१७स्कूल, अस्पताल, खेल के मैदान, पार्क या घर - सीरिया में बच्चों की ऐसी कोई भी जगह नहीं बची, जो हिंसक हमलों की शिकार बनने से रह गई हो. संयुक्त राष्ट्र की बाल राहत एजेंसी ने बताया है कि सीरियाई सरकार, उसके विरोधी और इन दोनों पक्षों के समर्थकों ने देश के गृहयुद्ध की हिंसा में युद्ध के नियमों की सरासर अनदेखी की.
यूनीसेफ ने कहा कि पिछले एक साल में ही कम से कम 255 बच्चे स्कूल में या स्कूल के पास मारे गये. इसके अलावा हिंसा प्रभावित इलाकों के करीब 17 लाख छोटे बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा. इस समय भी सीरिया स्थित हर तीन में से एक स्कूल इस्तेमाल के लायक नहीं है. कई स्कूलों में तो सशस्त्र गुटों ने कब्जा कर रखा है. इसके अलावा करीब 23 लाख सीरियाई बच्चे मध्यपूर्व के किसी और देश में शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
सीरिया युद्ध के छह साल बीत जाने के मौके पर यूनीसेफ ने इन आंकड़ों के साथ अपनी रिपोर्ट पेश की है. जनता की क्रांति से शुरु होकर सीरियाई संकट ने धीरे धीरे गृहयुद्ध का रूप ले लिया. 15 मार्च, 2011 को दक्षिणी सीरिया के शहर दरा में नागरिकों ने उन किशोरों को रिहा करने की मांग के साथ रैली निकाली थी, जिन्होंने अपने स्कूल की दीवार पर सरकार-विरोधी नारे लिखे थे. लोगों ने इन बच्चों को गिरफ्तार कर प्रताड़ना दिए जाने के विरोध में मार्च किया था. आगे चल कर कई और बाहरी देशों के भी सीरिया सरकार और विपक्षी दलों के समर्थन में सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के साथ ही सीरिया युद्ध ने और भी हिंसक शक्ल ले ली. हिंसा में बच्चे सबसे पहले और आसान शिकार बनते हैं.
यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार मेडिकल सुविधाओं और यातना के शिकार हुए बच्चों की मदद के अन्य साधनों की कमी के कारण बच्चे बाल मजदूरी, बाल विवाह और लड़ाई के हथियार बनाए जा रहे हैं. 2016 में कम से कम 851 बच्चों को बाल सैनिक बनाए जाने की जानकारी है, जो कि एक साल पहले के मुकाबले दोगुनी है. कई बच्चे तो ऐसी बीमारियों से ग्रस्त होकर जान गंवा रहे हैं, जिनका इलाज आसानी से हो सकता है. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय चैरिटी 'सेव द चिल्ड्रेन' ने बताया है कि सीरिया के ज्यादातर युवाओं में "टॉक्सिक तनाव" के लक्षण दिख रहे हैं, जो कि उनके लिए जीवन भर का मर्ज बन सकते हैं. इससे शारीरिक और मानसिक बीमारियां और बुरी लतें लगने की संभावना भी बढ़ जाती है.
आरपी/एमजे (एपी)