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यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंस

२९ मार्च २०११

जो छात्र यह तय कर लेते हैं कि पढ़ाई के बाद अपने करियर को किस दिशा में मोड़ना है उनके लिए यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंस सही चयन साबित होता है. ये यूनिवर्सिटी छात्रों को खास विषयों का माहिर बनाती हैं.

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तस्वीर: AP

यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंस

जर्मनी में एप्लाइड साइंस के करीब 160 विश्वविद्यालय हैं और एप्लाइड साइंस की पहली यूनिवर्सिटी की नींव 30 साल पहले रखी गई. जर्मनी में इन्हें फाखहोखशुले (Fachhochschule) कहा जाता है. क्लासिकल यूनिवर्सिटी की तरह ये भी बैचलर्स और मास्टर्स डिग्री उपलब्ध कराती हैं.

इनमें शोध के बजाए पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया जाता है और खास नौकरियों और उद्ममों के लिए छात्रों को तैयार किया जाता है. एप्लाइड साइंस यूनिवर्सिटी फार्मेस्यूटिकल केमिस्ट्री से लेकर कला संरक्षण में छात्रों नौकरी के लिए जरूरी कौशल को संवारती है. अगर छात्र जर्मनी में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करना चाहते हैं तो एप्लाइड साइंस यूनिवर्सिटी उनके लिए सही जगह हो सकती हैं.

इन संस्थानों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों के पास भी पेशे से जुड़ी विशेषज्ञ जानकारी होती है और उन्हें पता होता है कि अलग अलग उद्यमों में क्या स्थिति है. पढ़ाई के बाद जब छात्र नौकरियों की तलाश करते हैं तो उन्हें यह जानकारी काम आती है. एप्लाइड साइंस यूनिवर्सिटी डॉक्टरेट की पढ़ाई नहीं करातीं इसलिए पीएचडी करने वाले छात्रों को क्लासिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना चाहिए.

चर्च आधारित यूनिवर्सिटी

जर्मनी में एप्लाइड साइंस की कुछ यूनिवर्सिटी ऐसी भी हैं जो इवेनजेलिकल और कैथलिक चर्च से जुड़ी हुई हैं. इन संस्थानों में भावी पुरोहितों और पादरियों को प्रशिक्षण दिया जाता है और चर्च प्रशासन की जरूरतों को पूरा किया जाता है. सामाजिक कार्य और स्वास्थ्य सेवा में भी डिग्री स्तर की पढ़ाई होती है. चर्च आधारित कई यूनिवर्सिटी तो ऐसी हैं जिनमें भारी संख्या में छात्र आवेदन भेजते हैं और सीटों से कहीं ज्यादा आवेदक होते हैं. ऐसे में छात्रों के चयन के लिए इंटरव्यू सहित कुछ प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है.

पढ़ाई और नौकरी का तालमेल

जो छात्र बेहद व्यवहारिक पढ़ाई में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए Berufsakademie यानी करियर एकेडमी जाकर तलाश पूरी होती है. राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त ये एकेडमी बर्लिन, बाडेन वुर्टेरम्बर्ग, सैक्सनी, थुरुंगिया में हैं जबकि कुछ निजी संस्थान ऐसे हैं जो इससे मिलते जुलते पाठ्यक्रम जर्मनी के अन्य हिस्सों में पढ़ा रहे हैं. इन स्कूलों में छात्र साझेदार कंपनी में काम करते हुए तीन साल में बैचलर्स की पढ़ाई पूरी करते हैं. पढ़ाई के दौरान सैद्धांतिक और व्यवहारिक पहलुओं की जानकारी अलग अलग हिस्सों में दी जाती है. नौकरी करते करते पढ़ाने करने वाले छात्रों को कंपनी से थोड़ी बहुत तनख्वाह भी मिलती रहती है.

रिपोर्ट: क्लाउडिया उन्सेल्ड, गाबी रोएशर/ सचिन गौड़

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी