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यूक्रेन में 'रूस की सैन्य घुसपैठ'

२८ फ़रवरी २०१४

यूक्रेन ने रूस पर 'सैन्य घुसपैठ और कब्जे' का आरोप लगाया. यूक्रेन सरकार के मुताबिक रूस के हथियारबंद सैनिक क्रीमिया प्रांत के सिमफेरोपोल हवाई अड्डे में घुसे हैं. अमेरिका ने रूस को सैन्य दखल से दूर रहने की चेतावनी दी.

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तस्वीर: Reuters

यूक्रेन के गृह मंत्रालय ने हथियारबंदों को रूसी सैनिक बताया है. गृह मंत्री आर्सेन अवाकोव के मुताबिक काले सागर में तैनात रूसी सेना का दस्ता क्रीमिया में घुसा है. रूसी सैनिकों ने सेवास्तोपोल सैन्य हवाई अड्डे पर कब्जा किया है. रूसी सेना की एक और टुकड़ी पर सिमफेरोपोल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कब्जा करने के आरोप लगाए गए हैं.

रूसी सेना ने क्रीमिया प्रांत में घुसपैठ और कब्जे से इनकार किया है. रूस की सरकारी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के मुताबिक सिमफेरोपोल एयरपोर्ट के आस पास दिखाई दे रहे हथियारबंद लोग "क्रीमिया के उग्रवादी" हैं. रूसी सेना के प्रवक्ता ने कहा, "काले सागर से कोई दस्ता (एयरपोर्ट की तरफ) नहीं बढ़ा है."

Pro russische Demonstration in Simferopol auf der Krim
क्रिमिया में रूस समर्थकतस्वीर: Reuters

पश्चिम की चेतावनी

बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने रूस से कहा है कि वो यूक्रेन में सैन्य दखल न देने के वादे को लेकर संजीदगी दिखाए. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने सख्त लहजे में कहा कि सैन्य हस्तक्षेप भारी गलती होगी, "हम मानते हैं कि हर किसी को फिलहाल एक कदम पीछे हट जाना चाहिए और किसी भी तरह के उकसावे से बचना चाहिए."

जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने भी रूस से संयम की अपील की है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगर रूस ने सैन्य दखल दिया तो पश्चिम और मॉस्को के बीच नया कूटनीतिक युद्ध शुरू हो जाएगा.

विवाद की धुरी यानुकोविच

हफ्ते भर पहले यूक्रेन की संसद ने तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को बर्खास्त किया. माना जा रहा है कि यानुकोविच भागकर रूस चले गए. यूक्रेन में यानुकोविच के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट निकला है. शासन के आखिरी दिनों में यानुकोविच ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया. 75 से ज्यादा लोग मारे गए. अब नई अतंरिम सरकार ने अपदस्थ राष्ट्रपति पर जनसंहार का आरोप लगाया है.

रूस की आड़ में यानुकोविच अब भी खुद को यूक्रेन का राष्ट्रपति बता रहे हैं. शुक्रवार को वो प्रेस से बात भी करने वाले हैं. यानुकोविच को राजनीतिक शरण देने के बारे में रूस ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक पुतिन यूक्रेन की नई सरकार से आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर बातचीत जारी रखना चाहते हैं. दिसंबर में पुतिन ने यानुकोविच को 15 अरब डॉलर की आर्थिक मदद देने का वादा किया था लेकिन अब यह समझौता भी संकट में है. आर्थिक रूप से खस्ताहाल हो रहे यूक्रेन को तुरंत मदद की जरूरत है. रूसी राष्ट्रपति का कहना है कि यूक्रेन की नई सरकार के नीतियां स्पष्ट होने तक फैसला नहीं किया जा सकता.

मॉस्को की दुविधा

यूक्रेन का क्रीमिया इलाका 1954 तक रूस की सीमा में था. 1954 में सोवियत संघ ने इसे यूक्रेन में ट्रांसफर किया. हालांकि तब यूक्रेन भी सोवियत संघ के ही भीतर था. विद्रोह के इतिहास को देखने के लिए वहां के लिए अलग प्रशासनिक ढांचा बनाया गया. इस ढांचे के खिलाफ भी विद्रोह होते रहे. 16 जुलाई 1990 को यूक्रेन आजाद हो गया. लेकिन क्रीमिया के इलाके में रूस समर्थकों की बड़ी संख्या कीव को असहज करती रही.

Ukraine Maidan in Kiew Fahndungsplakat Fahndung nach Janukowitsch
यानुकोविच के खिलाफ वारंटतस्वीर: Reuters

यानुकोविच के भागने के बाद माना जा रहा था कि यूक्रेन का राजनीतिक संकट खत्म हो जाएगा लेकिन इसके बाद क्रीमिया में रूस समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए. अब वहां हालात नाजुक बनते जा रहे हैं.

यूक्रेन को यूरोपीय संघ अपने साथ करना चाहता है और रूस ऐसा नहीं चाहता. पिछले साल के आखिर में जब यानुकोविच ने यूरोपीय संघ के साथ जाने से इनकार किया तो कीव में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए. यूक्रेन के ज्यादातर लोगों को लगता है कि यूरोपीय संघ के साथ समझौते से उनकी अर्थव्यवस्था चमकेगी और यूक्रेन के नागरिकों को ईयू देशों में रोजगार के बेहतर मौके मिलेंगे.

रूस के लिए यह राजनीतिक हार जैसी होगी. इसे टालने के लिए रूस ने यानुकोविच की मदद की लेकिन वो भी मॉस्को की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. रूस समर्थक विश्लेषक दिमित्री ओरलोव कहते हैं, "यानुकोविच पुतिन की उम्मीदों को मुकाम तक पहुंचाने में पूरी तरह नाकाम हुए हैं." यानुकोविच अचानक फैसले पलटने के लिए भी मशहूर हैं, "वो खुद के दस्तखत किये हुए समझौते का भी सम्मान नहीं करते."

रूस में सेंटर फॉर पॉलिटिकल टेक्नोलॉजीज के प्रमुख बोरिस माकारेन्को के मुताबिक, "यानुकोविच भागने वाले एक डरपोक तानाशाह की तरह हैं, जिनमें रूस की कोई दिलचस्पी नहीं है. लेकिन रूस यह भी मानता है कि उन्हें शरण देने से इनकार करना उसके लिए नामुमकिन सा है."

ओएसजे/एमजे (एएफपी, डीपीए)